केंद्र सरकार से 25,000 रुपये मुआवजा जीता संजीव चतुर्वेदी ने, फिर प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 16, 2019 18:01 IST2019-09-16T18:01:45+5:302019-09-16T18:01:45+5:30

चतुर्वेदी की मूल्यांकन रिपोर्ट में विपरीत प्रविष्टियां करने के विवाद का निपटारा करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने केंद्र को अधिकारी को मुआवजे के तौर पर यह राशि देने को कहा था। चतुर्वेदी ने इससे पहले मैग्सेसे पुरस्कार की राशि भी दान कर चुके हैं।

Sanjeev Chaturvedi won compensation of Rs 25,000 from central government, then donated it to Prime Minister Relief Fund | केंद्र सरकार से 25,000 रुपये मुआवजा जीता संजीव चतुर्वेदी ने, फिर प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिया

अधिकारी ने कैट के अध्यक्ष के आदेश को पिछले साल उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

Highlightsकेंद्र सरकार ने मामले का स्थानांतरण नैनीताल से दिल्ली करने के लिए कैट का रुख किया। कैट के अध्यक्ष ने नैनीताल की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष लंबित कार्यवाही पर छह हफ्ते के लिए रोक लगा दी।

भारतीय वन सेवा के अधिकारी (आईएफएस) संजीव चतुर्वेदी ने केंद्र सरकार से बतौर मुआवज़ा मिले 25,000 रुपये को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष को दान कर दिए हैं।

चतुर्वेदी की मूल्यांकन रिपोर्ट में विपरीत प्रविष्टियां करने के विवाद का निपटारा करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने केंद्र को अधिकारी को मुआवजे के तौर पर यह राशि देने को कहा था। चतुर्वेदी ने इससे पहले मैग्सेसे पुरस्कार की राशि भी दान कर चुके हैं।

इस साल जून में अवमानना का नोटिस जारी किये जाने के बाद अदालत के अगस्त 2018 के आदेश का अनुपालन करते हुए केंद्र ने अगस्त के पहले हफ्ते में चतुर्वेदी को मुआवजे का भुगतान किया। चतुर्वेदी ने नई दिल्ली के एम्स द्वारा 2015-2016 की अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट में विपरीत प्रविष्टियों को लेकर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में मामला दायर किया था।

वह एम्स में 2012-16 तक मुख्य सतर्कता अधिकारी थे। दिल्ली में कैट की मुख्य पीठ में कैट के अध्यक्ष ने चतुर्वेदी द्वारा दायर की गई कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, जो कैट की नैनीताल खंडपीठ के समक्ष लंबित थी। जब चतुर्वेदी ने नैनीताल पीठ के समक्ष आवेदन कर मूल्यांकन रिपोर्ट को चुनौती दी तो उनके पक्ष में अंतरिम आदेश पारित किया गया।

इसके बाद केंद्र सरकार ने मामले का स्थानांतरण नैनीताल से दिल्ली करने के लिए कैट का रुख किया। कैट के अध्यक्ष ने नैनीताल की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष लंबित कार्यवाही पर छह हफ्ते के लिए रोक लगा दी और चतुर्वेदी को नोटिस जारी किया। अधिकारी ने कैट के अध्यक्ष के आदेश को पिछले साल उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

अदालत ने कैट अध्यक्ष के आदेश को खारिज करते हुए इसे अधिकार क्षेत्र से बाहर का बताया और अधिकारी के खिलाफ केंद्र और एम्स के रुख को प्रतिशोधी करार दिया। इसी आदेश में उच्च न्यायालय ने एम्स और केंद्र पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को एम्स और केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जिसने फरवरी 2019 में न केवल उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, बल्कि 20,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए उच्चतम न्यायालय विधि सेवा समिति में राशि भरने का आदेश दिया।

प्रधानमंत्री राहत कोष में योगदान देने के बाद चतुर्वेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री कार्यालय से एक विशेष कोष बनाने का आग्रह किया है जो उन ईमानदार लोक सेवकों की मदद करे जिन्हें इस तरह की प्रतिशोधी कार्रवाई/उत्पीड़न का शिकार बनाया गया है।

कम से कम यह उनके कानूनी लड़ाई का खर्च उठाए और उन्हें मुआवजा दे। उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े कार्यालय की ओर से ऐसा कदम उठाने से अधिकारियों में सुरक्षा का भाव आएगा, अन्यथा अपने संबंधित कार्यस्थल पर, व्यक्तिगत जोखिम और खर्च पर लड़ाई लड़ना मुश्किल होगा।

पत्र में अधिकारी ने संविधान सभा में सरदार पटेल की टिप्पणी का हवाला दिया है। पटेल ने कहा था, ‘‘ अगर आपके पास अच्छी अखिल भारतीय सेवा नहीं है जिन्हें अपनी बात रखने की आज़ादी हो तो आप के पास संयुक्त भारत नहीं होगा।’’ 

Web Title: Sanjeev Chaturvedi won compensation of Rs 25,000 from central government, then donated it to Prime Minister Relief Fund

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