Sanatan Dharma Controversy: सनातन धर्म पर हमला करने वाले नेताओं को रावण की संतान बताया, कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णन ने कहा-इंडिया गठबंधन ऐसी पार्टियों को बाहर करे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 22, 2023 10:59 AM2023-09-22T10:59:55+5:302023-09-22T11:00:56+5:30
Sanatan Dharma Controversy: द्रमुक और समाजवादी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों के नेता, जो सनातन धर्म को समाप्त करने की बात करते हैं, वे रावण के वंशज हैं। (इंडिया) गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं को अपने गुट से ऐसी पार्टियों को बाहर कर देना चाहिए।

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Sanatan Dharma Controversy: संत प्रमोद कृष्णन ने बृहस्पतिवार को सनातन धर्म पर हमला करने वाले नेताओं को रावण की संतान बताया और ‘इंडिया’ में शामिल पार्टियों से उन्हें विपक्षी गठबंधन से बाहर करने को कहा।
कांग्रेस पार्टी से जुड़ाव रखने वाले कृष्णन ने यहां साधु—संतों से भेंट करने के बाद कहा, ‘‘द्रमुक और समाजवादी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों के नेता, जो सनातन धर्म को समाप्त करने की बात करते हैं, वे रावण के वंशज हैं। (इंडिया) गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं को अपने गुट से ऐसी पार्टियों को बाहर कर देना चाहिए।’’
इस संबंध में उन्होंने कहा कि जो सनातन के खिलाफ हैं, वे भारत के खिलाफ़ है क्योंकि बिना सनातन के भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि यह तय होना चाहिये कि आप सनातन के साथ खड़े हैं या उसके विरोधियों के।’’ साधु—संतों ने भी सनातन के खिलाफ बोलने वाले नेताओं की निंदा करते हुई उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की।
संतों ने ऐसे नेताओं के खिलाफ राजद्रोह के मुकदमे दर्ज करने और ऐसी पार्टियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की भी आलोचना की और कहा कि विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल उनकी पार्टी को यह निर्णय लेना होगा कि वह रामायण और रामचरित मानस के साथ हैं या इनके विरोधियों के साथ।
रामचरित मानस मुद्दे को जनवरी, 2022 में मौर्य ने ही छेड़ा था जब उन्होंने दावा किया था कि धार्मिक ग्रंथ के कुछ हिस्सों में समाज के एक बड़े वर्ग का जाति के आधार पर अपमान किया गया है। उन्होंने इन हिस्सों को प्रतिबंधित किए जाने की भी मांग की थी। हाल ही में द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन ने यह बयान देकर भूचाल पैदा कर दिया था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय के विरुद्ध है।