कौन हैं समिक भट्टाचार्य?, सुकांत मजूमदार की जगह पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष
By सतीश कुमार सिंह | Updated: July 3, 2025 17:11 IST2025-07-03T14:23:11+5:302025-07-03T17:11:14+5:30
भट्टाचार्य ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर राज्य इकाई की बागडोर संभालेंगे, जब 2026 के विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है।

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कोलकाताः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य को बृहस्पतिवार को पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई का नया अध्यक्ष आधिकारिक रूप से घोषित किया गया और वह 2026 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने इस चुनाव को राज्य की संस्कृति और बहुलवाद को तृणमूल कांग्रेस के ‘‘भ्रष्ट कुशासन’ से बचाने की लड़ाई बताया। भट्टाचार्य को निर्विरोध चुना गया, क्योंकि बुधवार की समयसीमा तक किसी भी अन्य उम्मीदवार ने इस पद के लिए नामांकन दाखिल नहीं किया था। यहां ‘साइंस सिटी’ में एक अभिनंदन समारोह के दौरान यह औपचारिक घोषणा की गयी। कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद मौजूद थे, जिन्होंने भट्टाचार्य को निर्वाचन का प्रमाणपत्र दिया।
Samik Bhattacharya unanimously elected new West Bengal BJP president
— Press Trust of India (@PTI_News) July 3, 2025
भट्टाचार्य ने बुधवार दोपहर को सॉल्ट लेक स्थित भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में निवर्तमान अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की मौजूदगी में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। भट्टाचार्य ने ऐसे वक्त पर प्रदेश अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला है, जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए एक वर्ष से भी कम समय रह गया है।
उन्होंने अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को दिए पहले संबोधन में कहा, ‘‘बंगाल में हमने ऐसी स्थिति से शुरुआत की, जहां यह मान लिया गया था कि हमारा अस्तित्व नहीं है। लेकिन, हमने अपनी विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया। आज, इस राज्य की जनता ने हमें एक मुकाम दिया है। तृणमूल कांग्रेस की हार निश्चित है।’’
उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता ने भ्रष्ट तृणमूल सरकार के इस कुशासन को अगले विधानसभा चुनावों में समाप्त करने का मन बना लिया है। भट्टाचार्य ने 2026 के विधानसभा चुनाव को ‘‘बंगाल की संस्कृति, बहुलता और विरासत की लड़ाई’’ बताते हुए आरोप लगाया कि तृणमूल शासन में इन मूल्यों को खतरा है।
उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में भाजपा अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं, बल्कि हिंसा और साम्प्रदायिकता की राजनीति के खिलाफ है।’’ निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने इस बदलाव को पार्टी की कार्यप्रणाली में एक स्वाभाविक प्रक्रिया बताया। मजूमदार ने कहा, ‘‘यह ‘रिले रेस’ है, जिसमें दौड़ चलती रहती है, लेकिन बैटन संभालने वाले हाथ बदलते रहते हैं।
मैंने दिलीप घोष से कमान संभाली थी और आज समिक दा मुझसे कमान संभाल रहे हैं। हमने 38 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं और मुझे उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में हम इसमें सुधार करेंगे और अगले चुनाव में तृणमूल सरकार को सत्ता से बाहर करेंगे।’’ पार्टी की संगठनात्मक मशीनरी को मजबूत करना और राज्य भर में इसका आधार बढ़ाना भट्टाचार्य की शीर्ष प्राथमिकताएं होंगी।
भाजपा ने 2021 के विधानसभा चुनाव में 77 सीटें जीती थीं। उसके बाद से यह संख्या घटकर 65 रह गई है, जिसमें 12 सीटें या तो निर्वाचित विधायकों के निधन या विधायकों के दल बदलकर सत्तारूढ़ तृणमूल में शामिल होने के कारण हुए उपचुनावों में हार की वजह से कम हो गयीं। भट्टाचार्य की प्रमुख चुनौतियों में पार्टी के संगठनात्मक और विधायी शाखाओं के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना, राज्य भाजपा के भीतर विभिन्न गुटों को एकजुट करना और तृणमूल द्वारा भाजपा की ‘बंगाली विरोधी’ और ‘बाहरी पार्टी’ के रूप में गढ़ी छवि से निपटना शामिल है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह देखना बाकी है कि अपने स्पष्ट संचार कौशल और भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ गहरे जुड़ाव के लिए पहचाने जाने वाले भट्टाचार्य इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं।
बंगाल भाजपा नेता दिलीप घोष ने ‘डमरू’ बजाते हुए सड़कों पर पदयात्रा की
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने ‘‘लोगों की चेतना जाग्रत’’ करने के लिए प्रतीकात्मक प्रयास के तौर पर बृहस्पतिवार सुबह ‘डमरू’ बजाते हुए दुर्गापुर शहर की सड़कों पर पदयात्रा की। यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य का राज्य भाजपा अध्यक्ष के रूप में चुने जाना तय हो गया है, क्योंकि बुधवार की समय सीमा तक किसी अन्य उम्मीदवार ने इस पद के लिए नामांकन दाखिल नहीं किया।
‘डमरू’ के बारे में पूछे जाने पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यह श्रावण मास है...भगवान शिव सभी की चेतना जाग्रत करने के लिए डमरू बजाते हैं। हम भी मौजूदा स्थिति को देखते हुए लोगों की चेतना को जाग्रत करने का प्रयास कर रहे हैं।’’ बहरहाल, उन्होंने यह नहीं बताया कि ‘‘मौजूदा स्थिति’’ से उनका क्या मतलब है।
नए प्रदेश पार्टी अध्यक्ष के तौर पर भट्टाचार्य के निर्वाचन पर प्रतिक्रिया देते हुए घोष ने कहा, ‘‘पार्टी जिसे उपयुक्त समझती है, उसे नियुक्त करती है। वह एक शिक्षित व्यक्ति हैं, अच्छे वक्ता हैं और अच्छी तरह तर्क-वितर्क करते हैं और पार्टी में पहले भी महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।’’
घोष राज्य के पूर्व भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं, लेकिन अब वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैलियों सहित पार्टी के प्रमुख कार्यक्रमों से अनुपस्थित रहते हैं। घोष ने अपनी पत्नी रिंकू मजूमदार के साथ तृणमूल कांग्रेस की सरकार द्वारा निर्मित दीघा के जगन्नाथ मंदिर में 30 अप्रैल को दर्शन किए थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी, जिसके बाद यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि वह 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदल सकते हैं। बहरहाल, उन्होंने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें सरकार से एक आधिकारिक निमंत्रण मिला था और उनकी पार्टी ने किसी को भी वहां जाने से नहीं रोका है।