Russia Ukraine Crisis: रूसी थाली से गायब हो रहा नागपुर का चावल, युद्ध से 400 कंटेनर का कारोबार ठप, पेमेंट भी अटकी

By आनंद शर्मा | Published: March 5, 2022 08:58 PM2022-03-05T20:58:23+5:302022-03-05T20:59:36+5:30

Russia Ukraine Crisis: नागपुर से रूस के लिए चावल के लगभग 400 कंटेनर भी अटक गए हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि युद्ध से नागपुर का चावल रूसी थाली से गायब होने की स्थिति में है.

Russia Ukraine Crisis war Nagpur rice disappear Russian plate 400 container business stall payment stuck | Russia Ukraine Crisis: रूसी थाली से गायब हो रहा नागपुर का चावल, युद्ध से 400 कंटेनर का कारोबार ठप, पेमेंट भी अटकी

कीमत किराया पकड़कर करीब 10 लाख रुपए होती है. लेकिन अब युद्ध के कारण कंटेनर भेजने में दिक्कत आ रही है.

Highlightsचावल कारोबारियों के साथ ही कस्टम हाउस एजेंट्स भी आर्थिक दिक्कत में आ रहे हैं. माल की डिलीवरी रुकने से अब उन्हें एक माह में लगभग 40 करोड़ रुपए का नुकसान होना तय है.हर महीने लगभग 400 कंटेनर भेजे जाते हैं. 1 कंटेनर में 25 टन चावल होता है.

नागपुरः यूक्रेन-रूस के बीच जारी युद्ध का असर अब स्थानीय उद्योग-व्यापार जगत पर होने लगा है. जहां एक ओर प्लास्टिक सहित अन्य उद्योगों को युद्ध का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

वहीं, नागपुर से रूस के लिए चावल के लगभग 400 कंटेनर भी अटक गए हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि युद्ध से नागपुर का चावल रूसी थाली से गायब होने की स्थिति में है. इससे स्थानीय चावल कारोबारियों के साथ ही कस्टम हाउस एजेंट्स भी आर्थिक दिक्कत में आ रहे हैं. माल की डिलीवरी रुकने से अब उन्हें एक माह में लगभग 40 करोड़ रुपए का नुकसान होना तय है.

इस बारे में फेडरेशन ऑफ ट्रेड फॉरवर्ड्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं नागपुर कस्टम हाउस एजेंट्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुधीर अग्रवाल ने बताया कि नागपुर से गोंदिया, भंडारा, रायपुर, वारासिवनी आदि इलाकों से चावल का बड़े पैमाने पर निर्यात रूस में किया जाता है. हर महीने लगभग 400 कंटेनर भेजे जाते हैं. 1 कंटेनर में 25 टन चावल होता है.

इसकी कीमत किराया पकड़कर करीब 10 लाख रुपए होती है. लेकिन अब युद्ध के कारण कंटेनर भेजने में दिक्कत आ रही है. इससे 40 करोड़ रुपए का नुकसान होना तय है. वहीं, पुराने आॅर्डर की पेमेंट भी अटक गई है. इस बीच ईंधन की कीमत बढ़ने से किराया भाड़ा भी बढ़ गया है. इससे चावल कारोबारियों की मार्जिन कम हो गई है. वे जैसे-तैसे अपना व्यवसाय कर रहे हैं. वहीं, ऑर्डर रद्द/स्थगित होने से कस्टम हाउस एजेंट्स का बिजनेस भी प्रभावित हो रहा है.

शिपिंग कारटेल से बढ़ रहा भाड़ा

नागपुर कस्टम हाउस एजेंट्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुधीर अग्रवाल ने कहा कि ईंधन की कीमत बढ़ने के बीच युद्ध शुरू हो जाने से शिपिंग बिजनेस की प्रमुख पांच-छह कंपनियां कारटेल बनाकर परिवहन भाड़ा बढ़ा रही हैं. इससे भी नागपुर से उत्पादों का निर्यात करने में अधिक खर्च करना पड़ रहा है. इसका सीधा असर मुनाफे पर हो रहा है.

माल रास्ते में, भुगतान पर भी असर

विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव गौरव सारडा ने कहा कि यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते नागपुर से निर्यात होने वाले उत्पादों की पेमेंट अटक रही है. कई माल रास्ते में ही अटके हुए हैं. यूरोपीय देशों में रूसी बैंकों के मुख्य कार्यालय बंद होने से पैसों का लेन-देन ठप हो गया है. इसका सीधा असर नागपुर के एमएसएमई सेक्टर पर होता दिख रहा है.

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