नागपुर: रूस-यूक्रेन युद्ध, 350 प्लास्टिक उद्योगों पर लटकी बंद होने की तलवार, महंगे कच्चे तेल और बिजली ने भी बिगाड़ दिया खेल

By आनंद शर्मा | Published: March 5, 2022 08:43 PM2022-03-05T20:43:46+5:302022-03-05T20:45:15+5:30

Russia Ukraine Crisis: नागपुर सहित आसपास में छोटे-बड़े 350 प्लास्टिक उद्योग हैं. करीब 25 हजार लोगों को रोजगार मिला है.

Russia Ukraine Crisis war Nagpur 350 sword closure hanging plastic industrie expensive crude oil and electricity  | नागपुर: रूस-यूक्रेन युद्ध, 350 प्लास्टिक उद्योगों पर लटकी बंद होने की तलवार, महंगे कच्चे तेल और बिजली ने भी बिगाड़ दिया खेल

25 फीसदी उद्योगों के अगले कुछ महीनों में बंद होने की आशंका बनी हुई है.

Highlightsपॉलीप्रॉपिलीन, एचडीपी, एलडीपी, पीवीसी, एबीएस, नायलॉन व अन्य प्रकार के कच्चे माल का इस्तेमाल होता है.बीते एक साल में इन मटेरियल की कीमत में दोगुना इजाफा हुआ है. कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के पार चले जाने से पिछले कुछ दिनों में पॉलीमर की कीमत 10 फीसदी बढ़ गई है.

नागपुर: नोटबंदी, जीएसटी और फिर कोरोना महामारी की मार से पहले से बेजार स्थानीय प्लास्टिक उद्योगों को अब यूक्रेन-रूस तनाव और कच्चे तेल में आई तेजी देखकर चिंता सता रही है.

इसमें महंगी बिजली आग में घी डालने का काम कर रही है. ऐसे में यदि हालात में जल्द ही कोई सुधार नहीं हुआ तो अगले कुछ महीनों में नागपुर सहित आसपास के लगभग 25 फीसदी प्लास्टिक उद्योगों पर ताले लटकने की आशंका जानकार जता रहे हैं. गौरतलब है कि नागपुर सहित आसपास में छोटे-बड़े 350 प्लास्टिक उद्योग हैं.

इनसे करीब 25 हजार लोगों को रोजगार मिला है. कोरोना महामारी, महंगी बिजली, कच्चे तेल में जारी तेजी से कच्चे माल की कीमत बढ़ने से गत 1 वर्ष में इन उद्योगों को 100 करोड़ रु. से अधिक का नुकसान हो चुका है. प्लास्टिक उद्योग में कच्चे माल के रूप में पॉलीप्रॉपिलीन, एचडीपी, एलडीपी, पीवीसी, एबीएस, नायलॉन व अन्य प्रकार के कच्चे माल का इस्तेमाल होता है.

बीते एक साल में इन मटेरियल की कीमत में दोगुना इजाफा हुआ है. रेट 70-75 रुपए से बढ़कर 130 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गए हैं. जबकि, फाइनल प्रॉडक्ट की कीमत में बढ़ोत्तरी नहीं की गई है. इससे मुनाफा कम हो गया है. माल बेचने के बाद उधारी की वसूली समय पर नहीं हो पाने से उनकी वर्र्किंग कैपिटल दोगुनी हो गई है.

उधर, वैश्विक स्तर पर यूक्रेन-रूस के बीच जारी युद्ध से कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के पार चले जाने से पिछले कुछ दिनों में पॉलीमर की कीमत 10 फीसदी बढ़ गई है. इससे स्थानीय प्लास्टिक उद्योगों को काफी नुकसान हो रहा है. इस सबके बीच बिजली महंगी होने और पॉवर इन्सेन्टिव बंद किए जाने से इन उद्योगों के लिए अपना अस्तित्व बचाए रखना मुश्किल होता दिख रहा है. ऐसे में इनमें से 25 फीसदी उद्योगों के अगले कुछ महीनों में बंद होने की आशंका बनी हुई है.

पॉवर इन्सेन्टिव पर लगी रोक हटे

‘कोरोना, यूक्रेन-रूस युद्ध, कच्चे तेल व बिजली महंगी होने से प्लास्टिक उद्योगों के अस्तित्व पर संकट गहराने लगा है. हालात जल्द नहीं बदले तो 25 फीसदी उद्योग अगले कुछ महीनों में बंद हो सकते हैं. ऐसा न हो, इसके लिए प्लास्टिक उद्योग को सस्ती दर पर बिजली देना और बंद किए गए पॉवर इन्सेन्टिव को बहाल करना बेहद जरूरी है. सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा.’ - राकेश सुराना, अध्यक्ष, विदर्भ प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

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