रस्किन बांड की साहित्य यात्रा, ‘द सोंग ऑफ इंडिया’ नामक सचित्र पुस्तक 20 जुलाई तक बाजार में, साहित्य जीवन का 70 वां साल

By भाषा | Published: July 10, 2020 09:45 PM2020-07-10T21:45:33+5:302020-07-10T21:45:33+5:30

‘द सोंग ऑफ इंडिया’ में बांड 16 साल की अपनी अवस्था की कहानी बयां करते हैं और बताते हैं कि कैसे वह अपनी लेखन यात्रा शुरू करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। यह पुस्तक उनके संस्मरण की चौथी किस्त है। इससे पहले उनके संस्मरण से जुड़ी ‘लुकिंग फोर रैनबो’ (2017), ‘ टिल द क्लाउड्स बाई’ (2017), ‘कमिंग राउंड द माउंटेन’ (2019) आ चुकी हैं।

Ruskin Bond's literary journey Illustrated book  70 years successful author publishers Puffin Books Penguin Random House India | रस्किन बांड की साहित्य यात्रा, ‘द सोंग ऑफ इंडिया’ नामक सचित्र पुस्तक 20 जुलाई तक बाजार में, साहित्य जीवन का 70 वां साल

इन सात दशक में मैंने बच्चों के लिए और बड़ों के लिए भी सैंकड़ों कहानियां लिखीं और मैं अब भी वहीं कर रहा हूं। (file photo)

Highlightsशिमला में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बांड की मां ने उन्हें 1951 में ‘बेहतर भविष्य’ के लिए उन्हें इंगलैंड में एक रिश्तेदार के पास भेज दिया।उन्होंने किराने की दुकान और बाद में फोटो स्टूडियो में काम करते हुए अपनी पहली पुस्तक ‘द रूम ऑन द रूफ’ लिखी।

नई दिल्लीः लोकप्रिय अंग्रेजी लेखक रस्किन बांड पर एक नयी पुस्तक आ रही है जो उनके सफल लेखक बनने से पहले उनके जीवन की अनजानी बातों पर प्रकाश डालती है।

प्रकाशक फिन बुक्स ने शनिवार को यह जानकारी दी। ‘द सोंग ऑफ इंडिया’ नामक यह सचित्र पुस्तक 20 जुलाई तक बाजार में आएगी जो बांड के साहित्य जीवन का 70 वां साल होगा। यह पुस्तक सन् 1951 की पृष्ठभूमि में लिखी गयी है जब बांड देहरादून से इंगलैंड चले गये।

यह साल बाद में उनके पहले उपन्यास ‘ द रूम ऑन द रूफ’ (1956) का आधार भी बना। ‘द सोंग ऑफ इंडिया’ में बांड 16 साल की अपनी अवस्था की कहानी बयां करते हैं और बताते हैं कि कैसे वह अपनी लेखन यात्रा शुरू करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। यह पुस्तक उनके संस्मरण की चौथी किस्त है। इससे पहले उनके संस्मरण से जुड़ी ‘लुकिंग फोर रैनबो’ (2017), ‘ टिल द क्लाउड्स बाई’ (2017), ‘कमिंग राउंड द माउंटेन’ (2019) आ चुकी हैं।

शिमला में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बांड की मां ने उन्हें 1951 में ‘बेहतर भविष्य’ के लिए उन्हें इंगलैंड में एक रिश्तेदार के पास भेज दिया। वहीं जाकर उन्होंने किराने की दुकान और बाद में फोटो स्टूडियो में काम करते हुए अपनी पहली पुस्तक ‘द रूम ऑन द रूफ’ लिखी।

पुस्तक के लिए 50 पाउंड की अग्रिम राशि मिलने के बाद वह 1957 में देहरादून लौट पाये जहां उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए छोटी छोटी कहानियां लिखीं। वह 1963 में मसूरी चले गये। इस पुस्तक में बांड ने इंगलैंड के दिनों को याद किया है ।

उन्होंने अपने पहले धनादेश को प्राप्त करने, अपनी कहानियां प्रकाशित होने और नये दोस्त मिलने जैसी छोटी छोटी खुशियों का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ ‘ए सोंग ऑफ इंडिया’ मेरे लंबे लेखन करियर के 70 वें साल का प्रतीक है जो तब शुरू हुआ जब मैं 16 साल का था। इन सात दशक में मैंने बच्चों के लिए और बड़ों के लिए भी सैंकड़ों कहानियां लिखीं और मैं अब भी वहीं कर रहा हूं।’’

Web Title: Ruskin Bond's literary journey Illustrated book  70 years successful author publishers Puffin Books Penguin Random House India

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे