आरटीआई कार्यकर्ता ने न्यायालय की रजिस्ट्री के समक्ष लंबित अंतरिम जमानत याचिकाओं का विवरण मांगा
By भाषा | Updated: November 12, 2020 20:35 IST2020-11-12T20:35:55+5:302020-11-12T20:35:55+5:30

आरटीआई कार्यकर्ता ने न्यायालय की रजिस्ट्री के समक्ष लंबित अंतरिम जमानत याचिकाओं का विवरण मांगा
नयी दिल्ली, 12 नवंबर कार्यकर्ता साकेत गोखले ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में एक आरटीआई दााखिल कर रजिस्ट्री के सामने लंबित अंतरिम जमानत याचिकाओं का विवरण देने का अनुरोध किया है। यह आरटीआई आवेदन ऐसे वक्त दाखिल किया गया है जब बंबई उच्च न्यायालय द्वारा रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की याचिका खारिज किए जाने के दो दिन के भीतर ही उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार को जमानत दे दी।
वर्ष 2018 में एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में उच्च न्यायालय ने गोस्वामी को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इंटीरियर डिजाइनर के परिवार ने मामले में गोस्वामी समेत तीन आरोपियों द्वारा बकाया का भुगतान नहीं करने और उनपर जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाए थे।
गोस्वामी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की और बुधवार को उन्हें जमानत मिल गयी।
गोखले ने आरटीआई दाखिल कर उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित जमानत याचिकाओं और रजिस्ट्री में अंतरिम जमानत याचिका दायर करने तथा उपयुक्त पीठ के सामने सूचीबद्ध होने के बीच लगने वाले औसतन समय की जानकारी मांगी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भीमा कोरेगांव या दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तारी, राजनीतिक बंदियों के मामले या कश्मीर के बंदी प्रत्यक्षीकरण के ढेर सारे मामले हैं जहां ‘‘निजी स्वतंत्रता’’ को कुचला गया।
उन्होंने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष जब इन मामलों का उल्लेख किया गया तो याचिकाकर्ताओं को पहले उच्च न्यायालय जाने को कहा गया था।
गोखले ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इन चीजों के बीच, आरटीआई दाखिल करने का कारण यह जानना है कि उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री के सामने इस तरह के कितनी अंतरिम जमानत याचिकाएं लंबित हैं। हम देख रहे हैं कि कुछ मामलों में त्वरित सुनवाई होती है वहीं कुछ मामले लंबे समय तक लंबित रहते हैं लेकिन सूचीबद्ध नहीं हो पाते।’’
उन्होंने कहा कि यह ज्ञात तथ्य है कि न्यायिक प्रक्रिया धीमी है और ढेर सारे मामलों का पहले से बोझ है लेकिन कुछ लोग कतार को लांघ रहे हैं और उनके मामलों में त्वरित सुनवाई होती है । यह जानना महत्वपूर्ण है कि कितने मामले लंबित हैं और पीठ के सामने सूचीबद्ध होने में औसतन कितना समय लगता है।
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