समान-लिंग विवाह का RSS ने किया विरोध, कहा- हिंदू धर्म में विवाह संस्कार है, अनुबंध या आनंद नहीं
By मनाली रस्तोगी | Published: March 15, 2023 10:10 AM2023-03-15T10:10:35+5:302023-03-15T10:13:59+5:30
आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि जीवन के हिंदू दर्शन में विवाह एक 'संस्कार' है और आनंद का साधन नहीं है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने समान-लिंग विवाह पर केंद्र सरकार के रुख का समर्थन किया और कहा कि विवाह केवल विपरीत लिंग के व्यक्तियों के बीच ही हो सकता है। इस मुद्दे पर बात करते हुए आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि जीवन के हिंदू दर्शन में विवाह एक 'संस्कार' है और आनंद का साधन नहीं है।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, होसबोले ने कहा कि इस मसले पर सरकार कोर्ट में अपना जवाब दे चुकी है और संघ भी यही मानता है। शादी एक ऐसी प्रथा है, जो केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच ही हो सकती है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज का व्यापक हित है न कि भौतिक सुख।
#WATCH | "...Sangh has spoken about 'Hindu Rashtra' that it is a cultural concept. We've been saying that this is the meaning of 'Hindu Rashtra' & India is a 'Hindu Rashtra'. State & Nation are different...So, India - the nation - is a Hindu nation...," says RSS Gen Secy… https://t.co/BJVBa8Iaijpic.twitter.com/RnjnvY1AJ7
— ANI (@ANI) March 15, 2023
उन्होंने आगे कहा, "हिंदू जीवन में विवाह 'संस्कार' है, यह आनंद के लिए नहीं है, न ही यह एक अनुबंध है। एक साथ रहना अलग बात है, लेकिन जिसे विवाह कहते हैं वह हजारों वर्षों से हिंदू जीवन में एक 'संस्कार' है, जिसका अर्थ है कि दो व्यक्ति शादी करते हैं और न केवल अपने लिए बल्कि परिवार और सामाजिक भलाई के लिए एक साथ रहते हैं। विवाह न तो यौन सुख के लिए है और न ही अनुबंध के लिए।"
आरएसएस महासचिव ने आगे कहा कि दहेज जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए और पुरुष और महिला के बीच शादी होनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि संघ ने 'हिंदू राष्ट्र' के बारे में कहा है कि यह एक सांस्कृतिक अवधारणा है। हम कहते रहे हैं कि 'हिंदू राष्ट्र' का यही अर्थ है और भारत एक 'हिंदू राष्ट्र' है। राज्य और राष्ट्र अलग हैं...इसलिए भारत-राष्ट्र-एक हिंदू राष्ट्र है।