धर्म संसद में जो कहा गया वह हिंदुत्व नहीं, लोकमत के कार्यक्रम में बोले मोहन भागवत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 7, 2022 07:59 AM2022-02-07T07:59:47+5:302022-02-07T08:06:03+5:30

मोहन भागवत ने लोकमत के नागपुर संस्करण के स्वर्ण महोत्सव के निमित्त 'हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता' विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में हाल में धर्म संसद में हुई बयानबाजी पर अफनी बात रखी है।

RSS Mohan Bhagwat says What was said in Dharm sansad is not Hindutva | धर्म संसद में जो कहा गया वह हिंदुत्व नहीं, लोकमत के कार्यक्रम में बोले मोहन भागवत

धर्म संसद में जो कहा गया वह हिंदुत्व नहीं: मोहन भागवत

Highlightsलोकमत के नागपुर संस्करण के स्वर्ण महोत्सव के तहत 'हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता' विषय पर आयोजित व्याख्या में बोले मोहन भागवतमोहन भागवत ने कहा कि धर्म संसद में हिंदुत्व के नाम पर अतिवादी लोग बोल रहे थे।मोहन भागवत ने कहा कि कुछ हिंदुत्ववादी आज जिसे हिंदुत्व मान रहे हैं, वह असल में ऐसा नहीं है।

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हरिद्वार और अन्य स्थानों पर हुई धर्म संसद में हुई बयानबाजी पर पहली बार सार्वजनिक रूप से कुछ कहा है। मोहन भागवत ने इस दौरान कहा कि धर्म संसद में जो कहा गया वह हिंदुत्व नहीं है। 

भागवत रविवार को लोकमत के नागपुर संस्करण के स्वर्ण महोत्सव के निमित्त 'हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता' विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म संसद में हिंदुत्व के नाम पर अतिवादी लोग बोल रहे थे, वह हिंदुत्व बिल्कुल नहीं है। ऐसे बयान अनुचित हैं। भागवत ने कहा कि कुछ हिंदुत्ववादी आज जिसे हिंदुत्व मान रहे हैं, हकीकत में वह ऐसा नहीं है।

धर्म के नाम पर देश तोड़ने की षड्यंत्र

भागवत ने कहा कि हिंदुत्व में जाति, पंथ मतभेद का स्थान नहीं है। अंग्रेजों को मालूम था कि सभी को जोड़ने वाले विचार को अगर भुला दिया गया तो देश टूटेगा। उन्होंने ऐसा ही करने का प्रयास भी किया। आज भी धर्म के नाम पर देश को तोड़ने का षड्यंत्र आरंभ है। मूलत: हिंदुत्व किसी भी अतिवादी सोच पर विश्वास नहीं करता। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जाति व्यवस्था विकृति है। हिंदुत्व की भावना से जातीय भेजभाव दूर हो सकता है।

प्रणबदा ने कहा था, 5 हजार वर्षों से देश धर्मनिरपेक्ष

सरसंघचालक ने इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से हुई उनकी मुलाकात पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उस दौरान प्रणबदा ने आरंभ में घरवापसी को लेकर विवाद पर नाराजगी जताई। बाद में उन्होंने कहा कि अगर संघ ने अपने हाथों में काम नहीं लिया होता तो 30 फीसदी समाज देश से दूर हो गया होता। विश्व का सबसे धर्मनिरपेक्ष संविधान हमारा ही है। मोहन भागवत ने कहा कि संविधान के लागू होने से 5 हजार वर्ष पहले से ही देश में धर्मनिरपेक्ष की परंपरा है।

मोहन भागवत ने कहा कि वह साल 2018 में नागपुर में आयोजित संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित करने के लिए उनसे मिलने गए तो ‘घर वापसी’ के मुद्दे पर काफी तैयारी करके गए थे। भागवत ने कहा कि उस समय ‘घर वापसी’ के मुद्दे पर संसद में काफी हंगामा हुआ था और वह बैठक के दौरान मुखर्जी द्वारा पूछे जाने वाले किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए तैयार थे।

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