सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं, बोले संघ प्रमुख- बाहरी लोग चले गए हैं, अब...

By अनिल शर्मा | Published: June 2, 2023 09:23 AM2023-06-02T09:23:05+5:302023-06-02T09:25:03+5:30

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कुछ लोग इस धारणा का समर्थन करते हैं कि अतीत में भारत में कोई जातिगत भेदभाव नहीं था, उन्होंने कहा, किसी को यह स्वीकार करना होगा कि "अन्याय (जाति व्यवस्था के कारण) हमारे देश में हुआ है।"

rss mohan bhagwat Instead of showing our strength to enemies onborders we are fighting among ourselves | सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं, बोले संघ प्रमुख- बाहरी लोग चले गए हैं, अब...

सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं, बोले संघ प्रमुख- बाहरी लोग चले गए हैं, अब...

Highlightsमोहन भागवत गुरुवार नागपुर में 'संघ शिक्षा वर्ग' (आरएसएस कैडरों के लिए अधिकारी प्रशिक्षण शिविर) के विदाई समारोह में शामिल हुए थे।इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को देश की एकता और अखंडता को बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए।भागवत ने कहा- अगर कोई कमियां हैं, तो हम सभी को उन पर काम करना चाहिए।

नागपुर: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि देश की सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं। नागपुर में 'संघ शिक्षा वर्ग' (आरएसएस कैडरों के लिए अधिकारी प्रशिक्षण शिविर) के विदाई समारोह में बतौर मेहमान शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को देश की एकता और अखंडता को बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

भागवत ने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट और बाद में कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने सभी देशों के बीच अच्छा प्रदर्शन किया। हमारे समाज में धर्म और पंथ से जुड़े कई विवाद हैं। संघ प्रमुख ने कहा, "हम सीमा पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन हम आपस में लड़ रहे हैं। हम भूल रहे हैं कि हम एक देश हैं।" उन्होंने कहा कि भारत की एकता और अखंडता (बढ़ाने) के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। और अगर कोई कमियां हैं, तो हम सभी को उन पर काम करना चाहिए।"

भागवत ने अपने संबोधन में आगे कहा कि कुछ धर्म भारत के बाहर के थे और "हमारे उनके साथ युद्ध हुए थे।" लेकिन बाहर वाले तो चले गए। अब तो सब भीतर हैं। फिर भी यहां (बाहरी लोगों के) प्रभाव में लोग हैं और वे हमारे लोग हैं...यह समझना होगा। अगर उनकी सोच में कोई कमी है तो सुधार (उन्हें) हमारी जिम्मेदारी है।

भागवत ने कहा कि "बाहरी लोग चले गए हैं, लेकिन इस्लाम का अभ्यास यहां सदियों से सुरक्षित है।" आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कुछ लोग इस धारणा का समर्थन करते हैं कि अतीत में भारत में कोई जातिगत भेदभाव नहीं था, उन्होंने कहा, किसी को यह स्वीकार करना होगा कि "अन्याय (जाति व्यवस्था के कारण) हमारे देश में हुआ है।" संघ प्रमुख ने कहा, "हम अपने पूर्वजों का गौरव लेकर चलते हैं, लेकिन हमें कर्ज (उनकी गलतियों का) भी चुकाना है।"

Web Title: rss mohan bhagwat Instead of showing our strength to enemies onborders we are fighting among ourselves

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