Rohit Vemula 4th Death Anniversiry: आत्महत्या करने से पहले छात्र रोहित वेमुला ने लिखा था ये आखिरी पत्र
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 17, 2020 07:03 AM2020-01-17T07:03:09+5:302020-01-17T07:03:09+5:30
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन और आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट की एक घटना हुई थी।
आज से चार साल पहले यानी साल 2016 में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दलित छात्र रोहित वेमुला ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। तब इस घटना को लेकर पूरे देश भर में छात्रों में आक्रोश देखा गया और विरोध प्रदर्शन हुए। आज (17 जनवरी) को रोहित वेमुला की चौथी बरसी है।
बता दें कि हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन और आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट की एक घटना हुई थी।
इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच बिठाई और प्रशासन ने अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के कई नेताओं पर कार्रवाई की और उन्हें हॉस्टल खाली कराने का आदेश दिया। इनमें से रोहित वेमुला भी शामिल था। बाहर होने के बाद ये छात्र हॉस्टल के चौहारे पर ही रहने लगे। इसके बाद 17 जनवरी 2016 को रोहित वेमुला की लाश हॉस्टल में टगीं हुई मिली।
26 वर्षीय रोहित वेमुला पीएचडी छात्र था। बता दें कि विपक्षी दलों ने उनकी मौत के लिए भाजपा और आरएसएस से जुड़े समूहों को जिम्मेदार ठहराया था। मरने से पहले रोहित वेमुला ने भावुकता भरा एक पत्र लिखा था। पत्र के मुताबिक रोहित एक विज्ञान का लेखक बनना चाहते थे। पढ़े रोहित वेमुला का आखिरी पत्र...
गुड मॉर्निंग,
जब आप यह पत्र पढ़ रहे होंगे, तब मैं नहीं होऊंगा। मुझ पर नाराज मत होना। मैं जानता हूं कि आप में से कईयों मेरी परवाह की थी, मुझसे प्यार किया और मेरा पूरा ख्याल भी रखा। मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं। हमेशा से मुझ अपने आप से ही समस्या रही है। मैं अपनी आत्मा और अपने शरीर के बीच की दूरी को बढ़ता हुआ महसूस करता रहा हूं।
मैं तो हमेशा लेखक बनना चाहता था। विज्ञान का लेखक, कार्ल सेगन की तरह और लेकिन अंत में मैं महज यह एक पत्र लिख पा रहा हूं। मैंने विज्ञान, तारों और प्रकृति से प्रेम किया, फिर मैंने लोगों को चाहा, यह जाने बगैर कि लोग जाने कब से प्रकृति से दूर हो चुके। हमारी अनुभूतियां नकली हो गई हैं हमारे प्रेम में बनावट है। हमारे विश्वासों में दुराग्रह है। इस घड़ी मैं आहत नहीं हूं, दुखी भी नहीं, बस अपने आपसे बेखबर हूं।
एक इंसान की कीमत, उसकी पहचान एक वोट… एक संख्या… एक वस्तु तक सीमित रह पाई है। कोई भी फिल्ड हो, अध्ययन में, राजनीति में, मरने में, जीने में, कभी भी एक व्यक्ति को उसकी बुद्धिमत्ता से नहीं आंका गया। इस तरह का पत्र मैं पहली बार लिख रहा हूं। आखिरी खत लिखने का यह मेरा पहला अनुभव है। अगर यह कदम सार्थक न हो पाए तो मुझे माफ कीजिएगा।
हो सकता है इस दुनिया, प्यार, दर्द, जिंदगी और मौत को समझ पाने में, मैं गलत था। कोई जल्दी नहीं थी, लेकिन मैं हमेशा जल्दबाजी में रहता था। एक जिंदगी शुरू करने की हड़बड़ी में था। इसी क्षण में, कुछ लोगों के लिए जिंदगी अभिशाप है। मेरा जन्म मेरे लिए एक घातक हादसा है। अपने बचपन के अकेलेपन से मैं कभी उबर नहीं सका। अतीत का एक क्षुद्र बच्चा।
इस वक्त मैं आहत नहीं हूं… दुखी नहीं हूं, मैं बस खाली हो गया हूं। अपने लिए भी बेपरवाह। यह दुखद है और इसी वजह से मैं ऐसा कर रहा हूं। लोग मुझे कायर कह सकते हैं और जब मैं चला जाऊंगा तो स्वार्थी, या मूर्ख भी समझ सकते हैं। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे क्या कहा जा रहा है। मैं मौत के बाद की कहानियों, भूतों या आत्माओं पर विश्वास नहीं करता। अगर किसी बात पर मैं विश्वास करता हूं तो वह यह है कि मैं अब सितारों तक का सफर कर सकता हूं। और दूसरी दुनिया के बारे में जान सकता हूं।
जो भी इस खत को पढ़ रहे हैं, अगर आप मेरे लिए कुछ कर सकते हैं, तो मुझे सात महीने की फेलोशिप मिलनी बाकी है जो एक लाख और 75 हजार रुपये है, कृपया ये कोशिश करें कि वह मेरे परिवार को मिल जाए। मुझे 40 हजार रुपये के करीब रामजी को देना है। उसने कभी इन पैसों को मुझसे नहीं मांगा, मगर कृपा करके ये पैसे उसे दे दिए जाएं।
मेरी अंतिम यात्रा को शांतिपूर्ण और सहज रहने दें। ऐसा व्यवहार करें कि लगे जैसे मैं आया और चला गया। मेरे लिए आंसू न बहाएं। यह समझ लें कि जिंदा रहने की बजाय मैं मरने से खुश हूं।
‘परछाइयों से सितारों तक’
उमा अन्ना, मुझे माफ कीजिएगा कि ऐसा करने के लिए मैं आपके कमरे का इस्तेमाल कर रहा हूं।
एएसए (आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोशिएशन) परिवार के लिए, माफ करना मैं आप सबको निराश कर रहा हूं। आपने मुझे बेहद प्यार किया। मैं उज्ज्वल भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं दे रहा हूं।
आखिर बार के लिए
जय भीम
मैं औपचारिकताएं पूरी करना भूल गया। मेरी खुदकुशी के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। किसी ने ऐसा करने के लिए मुझे उकसाया नहीं, न तो अपने शब्दों से और न ही अपने काम से।
यह मेरा फैसला है और मैं अकेला व्यक्ति हूं, जो इस सबके लिए जिम्मेदार है। कृपया मेरे जाने के बाद, इसके लिए मेरे मित्रों और शत्रुओं को परेशान न किया जाए।