गवर्नेंस और पॉलिटिक्स श्रेणी में धीरज मिश्रा और सीमी पाशा को मिला रामनाथ गोयनका पुरस्कार

By विशाल कुमार | Published: December 30, 2021 10:14 AM2021-12-30T10:14:10+5:302021-12-30T10:35:49+5:30

दोनों पत्रकारों को यह पुरस्कार साल 2019 के लिए दिया गया है। द वायर हिंदी के रिपोर्टर धीरज मिश्रा को यह पुरस्कार डिजिटल मीडिया और सीमी पाशा को यह पुरस्कार ब्रॉडकास्ट मीडिया कैटेगरी में दिया गया है।

rng awards dheeraj mishra seemi pasha government and politics | गवर्नेंस और पॉलिटिक्स श्रेणी में धीरज मिश्रा और सीमी पाशा को मिला रामनाथ गोयनका पुरस्कार

धीरज मिश्रा और सीमी पाशा.

Highlightsदोनों पत्रकारों को यह पुरस्कार साल 2019 के लिए दिया गया है।द वायर हिंदी के रिपोर्टर धीरज मिश्रा को यह पुरस्कार डिजिटल मीडिया कैटेगरी में दिया गया है।सीमी पाशा को यह पुरस्कार ब्रॉडकास्ट मीडिया कैटेगरी में दिया गया है।

नई दिल्ली: पत्रकारिता के क्षेत्र में दिए जाने वाले देश के सबसे प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार की गवर्नेंस और पॉलिटिक्स श्रेणी में डिजिटल मीडिया द वायर हिंदी के रिपोर्टर धीरज मिश्रा और स्वतंत्र पत्रकार सीमी पाशा को सम्मानित किया गया है। दोनों पत्रकारों को यह पुरस्कार साल 2019 के लिए क्रमश: डिजिटल मीडिया और  ब्रॉडकास्ट मीडिया कैटेगरी में दिया गया है।

मिश्रा ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से जानकारी हासिल करके खुलासा किया कि संसदीय समितियों के कई सदस्यों और नौकरशाहों ने स्टडी टूर का उपयोग सरकारी कामकाज के लिए न करके घूमने-फिरने, महंगे होटलों में रहने और खाने-पीने के लिए किया।

रिपोर्ट से पता चला कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में सांसदों के अधिक खर्चों की ओर इशारा करते हुए उनके सरकारी गेस्ट हाउसों या होटलों में रहने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे लेकिन इसके बावजूद सांसद महंगे होटलों में रुके और खाने और यात्रा पर बेहिसाब खर्च किया।

मिश्रा ने बताया कि उन्होंने अलग-अलग मंत्रालयों में 30 से 35 आरटीआई आवेदन भेजे थे, वहां से मिली सूचनाओं को एकत्र करते हुए रिपोर्ट तैयार की गई।

इस रिपोर्ट का उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा क्योंकि लोकसभा सचिवालय ने सभी संसदीय समितियों के खर्चों में तेजी से कटौती के निर्देश दिए।

इसके साथ ही ब्रॉडकास्ट मीडिया के लिए गवर्नेंस और पॉलिटिक्स श्रेणी में यह पुरस्कार स्वतंत्र पत्रकार सीमी पाशा को दिया गया है।

दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई के बाद पाशा की 30 मिनट लंबी डॉक्यूमेंट्री ने जामिया नगर के अंदर की कहानी दिखाई गई थी।

इसमें जामिया के आस-पड़ोस में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों, छात्रों और कर्मचारियों की चिंताएं दिखाई गई थीं कि कैसे उन्हें हमेशा से ही संदेह के नजरिए से देखा जाता है।

इंडियन एक्सप्रेस समूह द्वारा दिए जाने वाले रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवॉर्ड्स की शुरुआत साल 2006 में हुई थी और इसे भारत में पत्रकारों के लिए सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक माना जाता है।

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