चारा घोटाला: राजद सुप्रीमो लालू यादव का बढ़ा इंतजार, जमानत याचिका पर सुनवाई और छह हफ्तों के लिए टली
By एस पी सिन्हा | Published: December 11, 2020 01:23 PM2020-12-11T13:23:22+5:302020-12-11T13:31:37+5:30
लालू यादव को अभी और कुछ दिन जेल में रहना होगा. उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई और 6 हफ्तों के लिए टल गई है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री चारा घोटाला के अलग-अलग मामलों में सजा काट रहे हैं.
रांची: बहुचर्चित चारा घोटाला के चार मामलों में सजा पाए राजद प्रमुख व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर आज रांची हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने सुनवाई छह हफ्ते तक के लिए टाल दी.
सर्टिफाइड कॉपी नहीं मिलने की वजह से उनकी सुनवाई टाल दी गई है. लालू के वकील ने 6 हफ़्तों के लिए समय मांगा है. ऐसे में लालू का बेल की सुनवाई के इंतजार में छह हफ्ते और जेल में रहना तय हो गया है.
हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार लालू प्रसाद यादव द्वारा अभी तक पूरी की जा चुकी सजा की अवधि के संबंध में कागजात जमा नहीं कराया गया है. इस कारण सुनवाई टल गई है. इससे बिहार में राजद में निराशा का माहौल है.
बता दें कि लालू की सुनवाई के लिए हर तरह से तैयारी कर ली गई थी. आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से अदालत को बताया गया कि सजा की अवधि अभी आधी हुई या नहीं, इसका रिकॉर्ड अभी पूरी तरह सत्यापित नहीं हो सका है.
साथ ही कहा गया कि सीबीआई ने जमानत का विरोध करते हुए जिन बिंदुओं को उठाया है, उसका जवाब भी दाखिल किया जाएगा. इसके लिए वह पूरक शपथपत्र दाखिल करेंगे. इसके लिए समय की जरूरत है.
वहीं, सीबीआई की ओर से भी कुछ अन्य कारण का हवाला देते हुए दूसरे दिन सुनवाई करने का आग्रह किया गया. इस पर न्यायाधीश अपरेश सिंह की अदालत ने आग्रह स्वीकार करते हुए सुनवाई छह सप्ताह बाद निर्धारित कर दी.
पहले भी टाली जा चुकी है लालू की जमानत पर सुनवाई
इससे पहले भी दुमका कोषागार मामले में लालू की जमानत पर सुनवाई दो बार टाली जा चुकी है. पहले इसे 6 नवंबर 2020 से 27 नवंबर 2020 के लिए इसे बढ़ा दिया था क्योंकि सीबीआई ने कुछ समय की मांग की थी.
दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद यादव को 7 साल की सजा हुई थी. लालू प्रसाद यादव के वकील ने सजा की आधी अवधि पूरी हो जाने को आधार बनाते हुए जमानत अर्जी दाखिल की थी. दरअसल, सीबीआई की टीम ने झारखंड हाईकोर्ट को एक शपथपत्र सौंपा था, जिसका सीधा असर लालू की जमानत याचिका पर पड़ सकता था.
सीबीआई के द्वारा जो शपथपत्र सौंपा कहा गया था कि लालू ने लगातार जेल नियमावली का उल्लंघन किया है और उनकी तबीयत भी अब स्थिर है. इसलिए, उन्हें राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स), रांची से बिरसा मुंडा जेल भेज देना चाहिए.
बता दें कि चारा घोटाला के पांच मामलों में से चार में लालू प्रसाद यादव को सजा मिल चुकी है. जबकि, डोरांडा कोषागार के एक मामले में निचली अदालत में सुनवाई चल रही है. सजा पाए तीन मामलों में लालू को जमानत मिल चुकी है, इसलिए दुमका कोषागार के मामले में भी जमानत मिलने की स्थिति में तय है कि वे जेल से बाहर आ जाएंगे.
लालू की जमानत पर क्यों फंसा है पेंच
आज की सुनवाई से पहले गुरुवार को ही सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट में पूरक शपथपत्र दाखिल किया था. पिछली सुनवाई के दौरान भी सीबीआई ने जमानत का विरोध करते हुए दावा किया था कि लालू प्रसाद यादव की आधी सजा पूरी नहीं हुई है, इसलिए जमानत का लाभ नहीं मिल सकता.
हाईकोर्ट ने निचली अदालत और जेल के रिकॉर्ड की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया था और यह बताने को कहा था कि आधी सजा पूरी हुई है या नहीं?
सीबीआइ ने कहा है कि दुमका कोषागार मामले में निचली अदालत ने दो अलग-अलग मामलों में सात-सात साल की अलग-अलग सजाएं दी हैं.
सीबीआई ने कहा है कि दोनों सजाएं एक साथ नहीं दी गईं हैं, इस कारण दुमका कोषागार के मामले में लालू ने एक दिन की सजा भी नहीं काटी है. इसके बाद हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद यादव से उनकी दलील के पक्ष में कागजात मांगे हैं।