राजद-जदयू जल्द हो सकते हैं एक, जदयू प्रमुख ललन सिंह के बयान से गर्मायी सियासत
By एस पी सिन्हा | Published: October 31, 2022 02:37 PM2022-10-31T14:37:12+5:302022-10-31T14:39:57+5:30
बिहार में राजद-जदयू के विलय की अटकलें उस वक्त तेज हो गई, जब जदयू प्रमुख ललन सिंह ने पार्टी के 19वें स्थापना दिवस पर एक संदेश साझा करते हुए ‘सामाजिक न्याय के साथ विकास’ की बात कही। दरअसल यही अवधारणा राजद के विचारधारा का भी सार माना जाता है।
पटना:बिहार में राजद और जदयू के विलय को लेकर चल रही अटकलों को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के एक पोस्ट से इन अटकलों को और बल मिल गया है। दोनों ही पार्टियों के सुर एक से नजर आ रहे हैं। ललन सिंह ने अपने पोस्ट में सामाजिक न्याय का नारा दिया है, जो कि राजद का हुआ करता है।
उन्होंने पार्टी के 19वें स्थापना दिवस पर ट्विटर पर पोस्ट लिखा है कि जनता दल (यूनाइटेड) के 19वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर बिहार एवं देशभर के कार्यकर्ता और नीतीश कुमार को बधाई, आभार एवं शुभकामनाएं। सब मिलकर ‘सामाजिक न्याय के साथ विकास’ की त्वरित गति में बिहार को विकसित प्रदेश बनाकर रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि जनता दल के शरद गुट और समता पार्टी के विलय के बाद 30 अक्टूबर 2003 में जदयू का गठन हुआ था। उसके बाद नीतीश कुमार इस पार्टी के सर्वेसर्वा बन गए। जदयू सुशासन और विकास का नारा देकर बिहार की सत्ता पर काबिज हुई। तब से नीतीश इसी नारे के साथ राजनीति कर रहे हैं। अब ललन सिंह ने अपने नारे में विकास के साथ सामाजिक न्याय को भी जोड़ दिया है। जाहिर है इससे दोनों दलों के विलय की चर्चा को और बल मिलेगा।
पुराने जनता दल में वीपी सिंह ने सामाजिक न्याय का नारा दिया था। लालू प्रसाद यादव ने राजद का गठन किया तो उसी नारे को अपनाया। आज की राजद की नींव इसी अवधारणा पर टिकी है। अब नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भी सामाजिक न्याय के नारे को अपनाने जा रही है। सामाजिक न्याय का अर्थ समाज के सभी सदस्यों के बीच बिना किसी भेदभाव के समान भाव से उनके अधिकार और गरिमा को बनाए रखने से है।
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि राजद और जदयू का विलय होगा। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव अपनी-अपनी पार्टियों का विलय करके एक नए मजबूत दल का निर्माण कर सकते हैं।
इस विलय के बाद बिहार ही नहीं बल्कि देशभर में भाजपा को चुनौती दे सकेगें। हालांकि, अभी तक दोनों पार्टियों की ओर से इस पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। माना जा रहा है कि अंदरखाने विलय पर बात चल रही है। दोनों ही दल एक नए नाम और नए निशान के साथ नई पार्टी बना सकते हैं।