राजद नेता तेज प्रताप यादव बेचने लगे हैं ‘लालू-राबड़ी’ नाम की अगरबत्ती, खटाल में बनाया शो रूम, मंदिरों पर चढ़े फूलों से तैयार
By एस पी सिन्हा | Published: July 8, 2021 07:44 PM2021-07-08T19:44:12+5:302021-07-08T19:45:24+5:30
तेज प्रताप के समर्थक इसे लालू-राबड़ी अगरबत्ती का नाम दे रहे हैं. तेजप्रताप ने अब फूलों की अगरबत्ती का व्यवसाय शुरू किया है.
पटनाः राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बडे़ पुत्र व विधायक तेजप्रताप यादव के रंग निराले हैं और वह हमेशा सुर्खियों में रहते हैं.
इस बार उन्होंने कुछ अलग किया है. तेजप्रताप ने अब फूलों की अगरबत्ती का व्यवसाय शुरू किया है. इस अगरबत्ती का ब्रांड नाम एलआर है. वैसे तो इसे लॉगेस्ट एंड रिचर कहा जा रहा है, लेकिन तेज प्रताप के समर्थक इसे लालू-राबड़ी अगरबत्ती का नाम दे रहे हैं.
बताया जाता है कि इसके लिए शोरूम भी तैयार किया गया है, जो किसी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में नहीं बल्कि पटना व दानापुर के लालू खटाल में बनाया गया है. इस खटाल में लालू प्रसाद यादव की गायें और भैंस रखी जाती हैं और इसी खटाल में अगरबत्ती का निर्माण होता है फिर उनके शो-रूम में रखा जाता है. कहा जा रहा है कि तेजप्रताप ने फूलों की अगरबत्ती बनवाना शुरू कर दिया है.
तेजप्रताप भी कभी-कभार उस खटाल सह शो रूम में जाते हैं. लेकिन वहां की स्थिति निगरानी वे मोबाइल से करते रहते हैं. यहां मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों को एकत्र कर उनसे अगरबत्ती बनाई जाती है. इसकी लकड़ी बांस की नहीं बल्कि नारियल के पत्ते की लकड़ियां होती हैं. कहा जाता है कि इन अगरबत्तियों में किसी रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
इसमें अलग-अलग खुशबू की अगरबत्ती तैयार होती है. इनका नाम कृष्ण लीला अगरबत्ती, बरसाना, सेवा कुंज आदि हैं. शो रूम में पूजा-पाठ से जुडे़ अन्य सामान भी बिकते हैं. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि कहने को तो यह शो रूम खटाल में बना है. लेकिन इसकी भव्यता कहीं कम नहीं दिखती.
शो रूम में हमेशा माहौल भक्तिमय बना रहता है खटाल में बने शो रूम में राजद का चुनाव चिह्न लालटेन नजर आता है तो गाय और बछडे की मूर्ति भी. राधाकृष्ण तो उनके आराध्य हैं, इसलिए उनकी भी दिव्य मूर्ति रखी है. यहां बता दें कि तेजप्रताप यादव पूरी तरह कृष्ण भक्ति में लीन रहते हैं. माथे पर त्रिपुंड, गले में माला पहने हुए वे सार्वजनिक जगहों पर नजर आते हैं. अक्सर वृंदावन की गलियों में घूमते उनकी तस्वीरें आती हैं. भक्ति में रमे तेजप्रताप खुद को कृष्ण तो अपने छोटे भाई तेजस्वी को अर्जुन बताते हैं.