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समुद्र में समा जाएगा खूबसूरत लक्षद्वीप? शोध में खुलासा- क्लाइमेट चेंज के कारण बढ़ रहा समुद्र का जलस्तर

By अभिषेक पारीक | Updated: June 19, 2021 18:34 IST

दुनिया के सबसे खूबसूरत द्वीप के रूप में पहचान बनाने वाले लक्षद्वीप पर समुद्र में डूबने का खतरा मंडरा रहा है। एक शोध का दावा है कि समुद्र का जलस्तर 0.4 मिमी से 0.9 मिमी प्रतिवर्ष के हिसाब से बढ़ेगा। जिसके चलते द्वीप का रिहायशी इलाका समुद्र में डूब सकता है।

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ठळक मुद्देशोध का दावा है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने से लक्षद्वीप का रिहायशी इलाका समुद्र में डूब सकता है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में तेजी के चलते पर्यावरण परिवर्तन की वजह से ऐसा हो रहा है। जमीन के समुद्र में डूबने का व्यापक काफी व्यापक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव हो सकता है। 

दुनिया के सबसे खूबसूरत द्वीपों के समूह के रूप में पहचान बनाने वाले लक्षद्वीप पर समुद्र में डूबने का खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में सामने आए एक शोध का दावा है कि समुद्र का जलस्तर 0.4 मिमी से 0.9 मिमी प्रतिवर्ष के हिसाब से बढ़ेगा। जिसके चलते द्वीप का रिहायशी इलाका समुद्र में डूब सकता है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में तेजी के चलते पर्यावरण परिवर्तन की वजह से ऐसा हो रहा है। 

डिपार्टमेंट ऑफ आर्टिटेक्चर एंड रीजनल प्लानिंग, डिपार्टमेंट ऑफ ओशन इंजीनियरिंग एंड नेवल आर्किटेक्चर, आईआईटी खड़गपुर और भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंड एंड टेक्नोलॉजी के शोध में यह बातें सामने आई हैं। भारत सरकार के जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के तहत यह शोध किया गया है। शोध में अथिरा कृष्णन, सैकत कुमार पॉल, प्रसाद के. भास्करन, आयशा जेनाथ शामिल रहे। 

शोध के मुताबिक, चेतलाट और अमिनी जैसे छोटे द्वीपों पर बड़े पैमाने पर भूमि के नुकसान की आशंका है। प्रोजेक्शन मैपिंग के आधार पर शोध ने बताया है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण अमिनी के तट 60 से 70 फीसद और चेतलाट के 70 से 80 फीसद तट समुद्र में डूब जाएंगे। 

राजधानी कवरत्ती भी डूब सकती है 

शोध का अनुमान है कि मिनिकॉय जैसे बड़े द्वीप और केंद्र शासित प्रदेश की राजधानी कवरत्ती भी समुद्र की जद में होगी और इससे करीब 60 फीसद भूमि समुद्र में समा जाएगी। शोध में बताया गया है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने से सबसे कम प्रभावित एंड्रोथ द्वीप होगा।

व्यापक आर्थिक-सामाजिक प्रभाव पड़ेगा

रीजनल स्टडीज इन मरीन साइंस, एल्सेवियर जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, तटों के डूबने का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव काफी व्यापक हो सकता है। इसके चलते समुद्र किनारे रहने वाले लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ेगी। द्वीपसमूह का इकलौता हवाई अड्डा अगत्ती द्वीप के दक्षिणी सिरे पर है। समुद्र के जलस्तर में वृद्धि से यह डूब सकता है।   

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