आईटी अधिनियम की धारा निरस्त करने वाले फैसले के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्यों की : केंद्र

By भाषा | Updated: August 2, 2021 13:38 IST2021-08-02T13:38:10+5:302021-08-02T13:38:10+5:30

Responsibility for implementation of decision to repeal section of IT Act: Center | आईटी अधिनियम की धारा निरस्त करने वाले फैसले के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्यों की : केंद्र

आईटी अधिनियम की धारा निरस्त करने वाले फैसले के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्यों की : केंद्र

नयी दिल्ली, दो अगस्त केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि संविधान के तहत ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ क्योंकि राज्य का विषय हैं ऐसे में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66ए रद्द करने वाले शीर्ष अदालत के 2015 के फैसले के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी प्राथमिक रूप से उनकी और कानून का पालन करवाने वाली उनकी एजेंसियों की है।

केन्द्र ने गैर सरकारी संगठन ‘पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’ (पीयूसीएल) की याचिका पर शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में यह जानकारी दी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि फैसले का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने के लिये केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए कदम “पर्याप्त नहीं” हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की जा चुकी धारा 66ए के तहत भड़काऊ पोस्ट करने पर किसी व्यक्ति को तीन साल तक कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान था।

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दायर हलफनामे में केंद्र ने कहा कि साइबर अपराध से संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिये राज्य की कानून प्रवर्तन एजेंसियां जिम्मेदार हैं।

केंद्र ने कहा, “भारत के संविधान के मुताबिक पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य का विषय हैं और अपराधों की रोकथाम, पता लगाना, अन्वेषण और अभियोजन तथा पुलिसकर्मियों का क्षमता निर्माण राज्यों की प्राथमिक जिम्मेदारी है।”

केंद्र ने कहा, “साइबर अपराधियों के खिलाफ कानून प्रवर्तक एजेंसियां कानून के मुताबिक विधिक कार्रवाई करती हैं और इसी के अनुरूप वे उक्त फैसले के अनुपालन के लिये समान रूप से जिम्मेदार हैं।”

सरकार ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि उसने सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों तथा प्रशासकों को निर्देश दिया है कि वे सभी पुलिस थानों श्रेया सिंघल मामले में न्यायालय के फैसले के अनुपालन के तहत धारा 66ए के तहत मामला दर्ज नहीं करने के निर्देश जारी करें।

केंद्र ने कहा कि उसने यह अनुरोध भी किया है कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इस बारे में एक रिपोर्ट भी भेजी जाए कि आईटी अधिनियम की धारा 66ए के तहत कितने मामले दर्ज किए गए हैं, और निर्देश दिया है कि धारा 66ए को लागू करने वाले किसी भी अभियोजन वापस लिये जाएं।

केंद्र के हलफनामे पर जवाब देते हुए पीयूसीएल ने कहा कि केंद्र की तरफ से न्यायालय के 2015 के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये उठाए गए कदम “पर्याप्त नहीं” हैं और भड़काऊ पोस्ट करने पर लोगों के खिलाफ इस धारा में मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने पांच जुलाई को इस बात पर “हैरानी” और “स्तब्धता” जाहिर की थी कि लोगों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए के तहत अब भी मुकदमे दर्ज हो रहे हैं जबकि शीर्ष अदालत ने 2015 में ही इस धारा को अपने फैसले के तहत रद्द कर दिया था।

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Web Title: Responsibility for implementation of decision to repeal section of IT Act: Center

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