'द कश्मीर फाइल्स' पर प्रतिक्रिया देते हुए आईएएस अधिकारी ने कहा, "मुसलमान कीड़े नहीं बल्कि इंसान हैं और वो भी इस देश के नागरिक हैं, उनके साथ हुए नरसंहार पर भी फिल्म बननी चाहिए"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 19, 2022 09:47 PM2022-03-19T21:47:00+5:302022-03-19T21:53:01+5:30
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नियाज खान ने यह स्वीकार किया कि 'द कश्मीर फाइल्स' में कश्मीरी हिंदुओं के सच्चे दर्द और पीड़ा को दर्शाया गया है, जिन्हें उनके घरों से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता को उसी शिद्दत से मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों को भी सिल्वर स्क्रीन पर उतारना चाहिए।
भोपाल: कश्मीर घाटी से 90 के दशक में लाखओं की संख्या में हुए कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को सोशल मीडिया पर समर्थन और विरोध दोनों ही हासिल हो रहा है।
इस फिल्म के कारण सोशल मीडिया पर भारतीय समाज दो फाड़ में दिकाई दे रहा है। कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुए नरसंहार पर चल रही तीखी बहस के बीच मध्य प्रदेश के एक आईएएस अधिकारी ने सुझाव दिया है कि फिल्म के निर्माताओं को देश में मुसलमानों की दुर्दशा पर भी एक फिल्म बनानी चाहिए।
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नियाज खान ने यह स्वीकार करते हुए कि 'द कश्मीर फाइल्स' में कश्मीरी हिंदुओं के दर्द और पीड़ा को दर्शाया गया है, जिन्हें उनके घरों से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता को उसी शिद्दत से मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों को भी सिल्वर स्क्रीन पर उतारना चाहिए।
इस संबंध में नियाज खान ने ट्वीट करते हुए कहा, "कश्मीर फाइल्स ब्राह्मणों का दर्द दिखाती है। उन्हें पूरे सम्मान के साथ कश्मीर में सुरक्षित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। निर्माता को कई राज्यों में बड़ी संख्या में मुसलमानों की हत्याओं को दिखाने के लिए भी एक फिल्म बनानी चाहिए। मुसलमान कीड़े नहीं बल्कि इंसान हैं और वो भी इस देश के नागरिक हैं।”
Kashmir File shows the pain of Brahmins. They should be allowed to live safely in Kashmir with all honour. The producer must also make a movie to show the killings of Large number of Muslims across several states. Muslims are not insects but human beings and citizens of country
— Niyaz Khan (@saifasa) March 18, 2022
आईएएस आधिकारी नियाज खान इस समय मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग में उप सचिव के पद पर तैनात हैं। उन्होंने इस्लामिक स्टेट द्वारा साल 2014 में यज़ीदियों के नरसंहार पर, तलाक़ तलाक़ तलाक़ (फौरी तलाक़ के बारे में) और बी रेडी टू डाई सहित सात किताबें भी लिखी हैं।
खान ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "वह मुसलमानों के नरसंहार पर अपना आठवां उपन्यास लिखने पर विचार कर रहे हैं, जो इस विषय पर एक फिल्म के लिए स्रोत सामग्री के रूप में काम कर सकता है।"
Thinking to write a book to show the massacre of Muslims on different occasions so that a movie like Kashmir Files could be produced by some producer, so that, the pain and suffering of minorities could be brought before Indians
— Niyaz Khan (@saifasa) March 18, 2022
उन्होंने कहा कि अलग-अलग मौकों पर हुए मुसलमानों के नरसंहार को दिखाने के लिए वो एक किताब लिखने के बारे में सोच रहे हैं ताकि कुछ निर्माता द्वारा 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्म का निर्माण किया जा सके। जिससे अल्पसंख्यकों के दर्द और पीड़ा को भारतीय समाज के सामने लाया जा सके।
मालूम हो कि फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को आलोचकों और दर्शकों से समान रूप से मिश्रित प्रतिक्रिया और समीक्षा मिल रही है। इस फिल्म की तारीफ करते हुए केंद्र सरकार अपना समर्थन दिया है।
फिल्म की तारीफ करने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सत्तारूढ़ भाजपा के कई नेता और भाजपा शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।
फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, कर्नाटक, त्रिपुरा और गोवा जैसे राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया है।
वहीं इसके साथ ही केंद्र सरकार ने फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के सुरक्षा खतरे का आंकलन करते हुए वाई श्रेणी की सुरक्षा भी प्रदान कर दी है।