तीन केंद्रीय अस्पतालों के रेजिडेंट चिकित्सकों ने सोमवार से नियमित, आपात सेवाओं का किया बहिष्कार
By भाषा | Published: December 6, 2021 04:28 PM2021-12-06T16:28:38+5:302021-12-06T16:28:38+5:30
नयी दिल्ली, छह दिसंबर केंद्र सरकार द्वारा संचालित राम मनोहर लोहिया (आरएमएल), सफदरजंग और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के रेजिडेंट चिकित्सकों ने नीट-पीजी 2021 की काउंसलिंग में देरी को लेकर फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) द्वारा आयोजित देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के समर्थन में सोमवार से सभी नियमित और आपातकालीन सेवाओं का बहिष्कार किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को लिखे एक पत्र में, एफओआरडीए ने गत चार दिसंबर को कहा था कि देश भर के स्वास्थ्य संस्थानों में पर्याप्त रेजिडेंट चिकित्सकों की कमी है, जबकि वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में अभी तक कोई नामांकन नहीं हुआ है।
इसमें कहा गया है कि भविष्य में कोविड-19 महामारी की लहर की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में देश की आबादी पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।
पत्र में लिखा गया है, "ऐसा लगता है कि नीट-पीजी काउंसिलिंग में तेजी लाने के लिए अभी तक कोई पहल या उपाय नहीं किया गया है। इसलिए दिल्ली के विभिन्न आरडीए प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श के बाद हमने सोमवार से स्वास्थ्य संस्थानों में अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने और सभी सेवाओं (नियमित और आपातकालीन) को वापस लेने का फैसला किया है।”
रेजिडेंट चिकित्सकों के काम के बहिष्कार के बीच, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) के सफदरजंग अस्पताल पहुंचने की खबर है, जहां उन्होंने रेजिडेंट चिकित्सकों से विरोध प्रदर्शन वापस लेने की अपील की, लेकिन उन्होंने (चिकित्सकों ने) इनकार कर दिया।
पत्र में कहा गया है, ‘‘हमें आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए दुख हो रहा है कि हमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और संबंधित अधिकारियों से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया या ठोस कदम की जानकारी नहीं मिली है।"
सफदरजंग और लेडी हार्डिंग (एलएचएमसी) अस्पतालों के आरडीए ने भी इसी तरह के पत्र लिखे हैं।
चिकित्सा अधीक्षक को लिखे अपने पत्र में, सफदरजंग अस्पताल आरडीए ने कहा है कि 27 नवंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ एक बैठक में "उनके द्वारा दिए गए मौखिक आश्वासन का सम्मान करते हुए" मौन तरीके से एक प्रतीकात्मक विरोध जारी रखा गया।
इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, 30 नवंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार, सामाजिक न्याय मंत्रालय ने शीर्ष अदालत में अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए तीन सप्ताह की अवधि मांगी है, जो इस प्रक्रिया में तेजी लाने के संबंध में हमें दिए गए मौखिक आश्वासन के अनुरूप नहीं है।"
एलएचएमसी आरडीए ने कहा, “चूंकि ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) और सभी नियमित सेवाओं के मामले में अधिकारियों की ओर से आश्वासन के अनुरूप कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली, इसलिए हम एलएचएमसी और संबंधित अस्पतालों के रेजिडेंट चिकित्सक एफओरआरडीए, इंडिया द्वारा बुलाए गए राष्ट्रव्यापी विरोध के समर्थन में सोमवार, 6 दिसंबर से सभी सेवाओं (नियमित और आपातकालीन) का बहिष्कार करेंगे।
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