तमिलनाडु में पेशेवर पाठ्यक्रमों में सरकारी स्कूलों के छात्रों को वरीयता के आधार पर आरक्षण
By भाषा | Published: August 26, 2021 07:01 PM2021-08-26T19:01:11+5:302021-08-26T19:01:11+5:30
तमिलनाडु सरकार ने सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी संस्थानों के स्कूली छात्रों के लिये इंजीनियरिंग, कृषि, पशु चिकित्सा, कानून और अन्य पेशेवर डिग्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए ''वरीयता आधार'' पर 7.5 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा विधानसभा में पेश किया गया आरक्षण विधेयक उन छात्रों पर लागू होता है, जिन्होंने राज्य के स्कूलों में छठी से 12 वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। यह प्रावधान दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी के मुरुगसेन के नेतृत्व वाले आयोग की सिफारिश पर किया गया है। मुख्यमंत्री ने सरकारी स्कूल के छात्रों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश में वरीयता के आधार पर 7.5 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले विधेयक को पेश करते हुए कहा कि सरकारी स्कूल के छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने में असमर्थ हैं, क्योंकि वे सामाजिक-आर्थिक असमानता के कारण निजी स्कूलों के अपने समकक्षों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में, राज्य के सरकारी स्कूलों के कम छात्रों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश मिला है। 2020-21 के दौरान, अन्ना विश्वविद्यालय में केवल 0.83 प्रतिशत, सरकारी संस्थानों में 6.31 प्रतिशत, सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेजों में 0.44 प्रतिशत जबकि पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम में 3 प्रतिशत को छात्रों को प्रवेश मिला।” उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन में केवल 3.7 प्रतिशत, कृषि में 4.89 प्रतिशत और तिरुचिरापल्ली में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में 1 प्रतिशत से भी कम सरकारी स्कूल के छात्रों को प्रवेश मिला है। विपक्षी अन्नाद्रमुक ने सरकारी स्कूल अधिनियम, 2021 के तहत छात्रों को वरीयता आधार पर तमिलनाडु स्नातक व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश का स्वागत किया।
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