उच्चतम न्यायालय से ‘समान नागरिक संहिता’ पर याचिका के हस्तांतरण का अनुरोध
By भाषा | Published: April 10, 2021 08:38 PM2021-04-10T20:38:22+5:302021-04-10T20:38:22+5:30
नयी दिल्ली, 10 अप्रैल उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर समान नागरिक संहिता के विषय पर दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित एक याचिका को शीर्ष अदालत में हस्तांतरित करने का अनुरोध किया गया है।
वकील और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय में विवाह की न्यूनतम आयु, तलाक के आधार, गुजारा-भत्ता, गोद या संरक्षण तथा विरासत एवं उत्तराधिकार से संबंधित पांच जनहित याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।
इसमें कहा गया कि भारतीय दंड संहिता की तर्ज पर सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने से देश के लोगों को सैकड़ों जटिल एवं पुरातनपंथी कानूनों से मुक्ति मिलेगी।
याचिका में मांग की गई कि केंद्र को यह निर्देश दिया जाए कि वह अंतरराष्ट्रीय संकल्पों और विकसित राष्ट्रों के सभी पर्सनल लॉ और दीवानी कानूनों में से सर्वश्रेष्ठ को ध्यान में रखते हुए तीन महीने के भीतर समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति का गठन करे।
याचिका में कहा गया, ‘‘लैंगिक रूप से निष्पक्ष एवं धर्म निरपेक्ष कानून वसीयत, दान, धर्म-विज्ञान, संरक्षणता, संरक्षण की साझेदारी आदि के मामले में सभी नागरिकों पर लागू होगा चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम, पारसी हों या ईसाई। इससे धर्म, जाति और संप्रदायों के भीतर लैंगिक भेदभाव समाप्त हो जाएगा।’’
इसमें कहा गया कि इस कानून से न केवल भाईचारा बढ़ेगा बल्कि राष्ट्रीय एकता की भावना बढ़ेगी, लैंगिक न्याय एवं महिलाओं के सम्मान की रक्षा हो सकेगी।
याचिका में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय सरकार को संविधान के अनुच्छेद 44 को लागू करने के लिए तो नहीं कह सकते लेकिन समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए समिति का गठन करने का निर्देश केंद्र को दे सकते हैं।
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