कुंभा महल के 'लाइट एंड साउंड' शो से आपत्तिजनक वृत्तांत व शब्दों को हटाया

By भाषा | Updated: December 29, 2021 15:33 IST2021-12-29T15:33:05+5:302021-12-29T15:33:05+5:30

Removal of objectionable accounts and words from 'Light and Sound' show of Kumbha Mahal | कुंभा महल के 'लाइट एंड साउंड' शो से आपत्तिजनक वृत्तांत व शब्दों को हटाया

कुंभा महल के 'लाइट एंड साउंड' शो से आपत्तिजनक वृत्तांत व शब्दों को हटाया

जयपुर, 29 दिसंबर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में प्रशासन ने विख्यात कुंभा महल के 'लाइट एंड साउंड' शो में रानी पद्मिनी एवं अलाउद्दीन खिलजी को लेकर दिखाए गए वृत्तांत तथा आपत्तिजनक शब्दों को हटा दिया है। चित्तौड़गढ़ से भाजपा सांसद सी पी जोशी और राजपूत समुदाय के नेताओं ने वृत्तांत एवं कुछ शब्दों पर आपत्ति जताई थी जिसके बाद उन्हें शो की स्क्रिप्ट से हटाया गया है।

शो के जिस हिस्से को लेकर आपत्ति जताई गई थी उसमें 13वीं शताब्दी का मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी एक दर्पण के माध्यम से मेवाड़ की रानी पद्मिनी को देखने के बाद उनकी सुंदरता की प्रशंसा करते हुए दिखाया गया था।

चित्तौड़गढ़ के जिला कलेक्टर तारा चंद मीणा ने बुधवार को पीटीआई भाषा को बताया,' “शो के दर्पण वाले संदर्भ को लेकर आपत्ति थी। हमने समीक्षा की है और आपत्तिजनक हिस्से को स्क्रिप्ट से हटा दिया गया है।'

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोमवार को राज्य के पांच प्रमुख पर्यटक स्थलों पर 'लाइट एंड साउंड' शो का लोकार्पण किया। इसके तहत चित्तौड़गढ़ के विश्व विख्यात दुर्ग के साथ साथ जयपुर के प्रमुख धार्मिक स्थल गोविंद देव जी मंदिर परिसर स्थित जयनिवास उद्यान, मेड़ता में मीराबाई स्मारक तथा धौलपुर के मचकुंड में आकर्षक लाइट एंड साउंड शो तथा जैसलमेर की ऐतिहासिक गड़सीसर झील में लेजर वाटर शो का लोकार्पण किया गया।

भाजपा सांसद जोशी ने कहा, 'शो के उद्घाटन से तीन दिन पहले, मैंने स्क्रिप्ट सुनी थी और अधिकारियों से खिलजी द्वारा रानी पद्मिनी को दर्पण के माध्यम से देखने संबंधी संदर्भ को हटाने को कहा था। मुझे आश्वासन दिया गया था कि हिस्सा हटा दिया जाएगा लेकिन सोमवार को शो के लोकार्पण के समय हिस्सा वहीं था। हमने तुरंत शो बंद कर दिया।'

केंद्र ने 2007 के पुराने संस्करण की जगह नए लाइट एंड साउंड शो के लिए राज्य सरकार को एक योजना के माध्यम से 5.5 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

जौहर स्मृति संस्थान के संयोजक नरपत सिंह भाटी ने कहा कि ऐसा कोई ऐतिहासिक सत्य नहीं है कि खिलजी ने रानी पद्मिनी के लिए चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया था या दर्पण से उनकी एक झलक देखी थी। दर्पण के सभी संदर्भ 16 वीं शताब्दी के कवि मलिक मुहम्मद की जायसी की कविता पद्मावत से आए हैं, जो "काल्पनिक" है।

उल्लेखनीय है कि 2017 में, राजपूत संगठनों ने खिलजी और रानी पद्मिनी की कहानी पर आधारित बॉलीवुड फिल्म 'पद्मावत' का विरोध किया था। बाद में, चित्तौड़गढ़ में विरोध और करणी सेना की धमकियों के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने चित्तौड़गढ़ किले में रानी पद्मिनी के महल के बाहर अपनी उस पट्टिका को कपड़े से ढक दिया, जिस पर "यहां खिलजी ने पद्मिनी को देखा" अंकित था। उसी साल यह दर्पण तोड़ दिए गए थे।

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