दूसरे देश कमाने गए प्रवासियों के घर पैसा भेजने में 20% की कमी, भारत समेत ये देश बुरी तरह प्रभावित!
By आदित्य द्विवेदी | Published: July 2, 2020 10:08 AM2020-07-02T10:08:55+5:302020-07-02T10:08:55+5:30
रेमिटेंस वो राशि होती है जो दूसरे देशों में रोजगार के लिए पहुंचे लोग अपने देश में घरों में पैसे भेजते हैं। खाड़ी देशों में बसे भारतीय सबसे अधिक रेमिटेंस भेजते हैं।
कोविड-19 ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है। एक तरफ आय के साधन कम हो रहे हैं दूसरी तरफ स्वास्थ्य सेवाओं में खर्च बढ़ता जा रहा है। ऐसे में विश्वबैंक की एक रिपोर्ट और ज्यादा निराशा पैदा करती है। विश्वबैंक ने अनुमान लगाया है कि दुनियाभर में कोरोना की वजह से रेमिटेंस में 20 फीसदी की कमी आ सकती है। गौरतलब है कि रेमिटेंस वो राशि होती है जो दूसरे देशों में रोजगार के लिए पहुंचे लोग अपने देश में घरों में पैसे भेजते हैं। खाड़ी देशों में बसे भारतीय सबसे अधिक रेमिटेंस भेजते हैं। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे विकसित देशों में काम करने वाले भारत में अपने परिवार के लिए पैसे भेजते हैं।
भारत में रेमिटेंस में 23 प्रतिशत की कमी
विश्व बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते इस साल भारत में विदेशों से धन प्रेषण 23 प्रतिशत घटकर 64 अरब डॉलर रह जाने की आशंका है, जो पिछले साल 83 अरब डॉलर था। विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘भारत में धन प्रेषण 2020 के दौरान लगभग 23 प्रतिशत घटकर 64 अरब अमेरिकी डॉलर रह जाने का अनुमान है, जबकि 2019 के दौरान यह 83 अरब डॉलर था।’’ विश्व बैंक का अनुमान है कि पाकिस्तान में घन प्रेषण में लगभग 23 प्रतिशत गिरावट होगी, जबकि बांग्लादेश में 22 प्रतिशत, नेपाल में 14 प्रतिशत और श्रीलंका में 19 प्रतिशत कमी हो सकती है।
हाल के इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 महामारी और इसके चलते लॉकडाउन के कारण इस साल पूरी दुनिया में धन प्रेषण में 20 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक ये गिरावट हाल के इतिहास में सबसे अधिक है और मोटेतौर पर प्रवासी श्रमिकों के वेतन और रोजगार में कमी के कारण ऐसा होगा। विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मलपास ने कहा कि धन प्रेषण विकासशील देशों की आय का एक प्रमुख साधन है, जबकि कोविड-19 के कारण जारी आर्थिक मंदी के चलते प्रवासी मजदूरों की घर पैसे भेजने की क्षमता पर भारी असर पड़ा है।
बेसिक जरूरतों में होता है रेमिटेंस का इस्तेमाल
डेविड मलपास ने कहा कि धन प्रेषण से उन परिवारों को भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है। ऐसे में विश्व बैंक समूह धन प्रेषण चैनलों को खुला रखने और इससे संबंधित बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए काम कर रहा है।
जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान
रेमिटेंस किसी देश की जीडीपी में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, टॉप रेमिटेंस वाले देश अपनी जीडीपी का 10 फीसदी कवर करते हैं। 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जीडीपी में रेमिटेंस का योगदान 2.9 फीसदी था। पाकिस्तान की जीडीपी 6.7 फीसदी, नेपाल की जीडीपी 28 फीसदी, बरमूडा की जीडीपी में 22 फीसदी, चीन की जीडीपी में 0.2 फीसदी योगदान रहा।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर