रीमेक एक तरह से वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है: निर्माता डी सुरेश बाबू
By भाषा | Published: July 21, 2021 05:12 PM2021-07-21T17:12:37+5:302021-07-21T17:12:37+5:30
मुंबई, 21 जुलाई फिल्म निर्माता डी सुरेश बाबू ने कहा कि अच्छी पटकथा की गैरमौजूदगी में सफल फिल्मों का रीमेक बनाना वित्तीय लिहाज से व्यावहारिक है क्योंकि ये फिल्में पहले से ही दर्शकों के ‘मानदंड’ से गुजर चुकी होती हैं।
बाबू तेलुगु फिल्म ‘नरप्पा’ के निर्माता हैं, जो कि तमिल फिल्म ‘असुरन’ का रीमेक है और इस फिल्म के लिए अभिनेता धनुष को इस साल की शुरुआत में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।
इस तेलुगु रीमेक में वेंकटेश डग्गुबती, प्रियामणि और कार्तिक रत्नम नजर आए हैं और इसका निर्माण बाबू और मूल फिल्म के निर्माता कलईपुली एस थानू ने किया है।
बाबू ने पीटीआई-भाषा को जूम के माध्यम से एक साक्षात्कार में बताया, ‘‘ हमारे पास ऐसे आंकड़े हैं, जो बताते हैं कि साधारण फिल्मों से ज्यादा रीमेक सफल होते हैं। जैसे कि तमिल से तेलुगु रीमेक सफल है। ऐसी भी साधारण फिल्में हैं, जो सफल होती हैं लेकिन रीमेक आपको एक तरह से वित्तीय लागत के मामले में सुरक्षा प्रदान करती है क्योंकि इसकी पटकथा ऐसी होती है, जो दर्शकों के मानदंड से गुजर चुकी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हो सकता है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में अच्छी पटकथा नहीं लिखी जा रही हैं इसलिए जब किसी ने एक भाषा में अच्छी पटकथा लिखी है तो क्यों न इस पर दोबारा फिल्म बनाई जाए।’’
‘नरप्पा’ का निर्देशन श्रीकांत अडाला ने किया है और यह मंगलवार को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई।
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