कश्मीर में बचे हुए प्रवासी नागरिकों में घर लौटने की लगी होड़, हाई अलर्ट में भी मारे गए दो लोग
By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 17, 2021 05:03 PM2021-10-17T17:03:39+5:302021-10-17T17:12:19+5:30
कश्मीर से प्रवासी श्रमिकों का अपने घरों को लौटना रूक नहीं पा रहा है। दस दिनों के भीतर 3 प्रवासी नागरिकों की हत्याओं ने उन्हें चिंता में डाल दिया है।
जम्मू : तमाम कोशिशों और दावों के बावजूद कश्मीर से प्रवासी श्रमिकों का अपने घरों को लौटना रूक नहीं पा रहा है। दस दिनों के भीतर 3 प्रवासी नागरिकों की हत्याओं ने उन्हें चिंता में डाल दिया है। प्रवासी नागरिक दहशतजदा हैं पुलिस भी मानती है पर कहती है कि एक-एक को सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती। चिंता की बात यह है कि हाई अलर्ट के बावजूद आतंकी टारगेट किलिंग करने में कामयाब हो रहे हैं।
यह सच है कि कश्मीर में गैर कश्मीरियों को निशाना बनाए जाने से खौफजदा प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ीदारों का कश्मीर से अपने घरों को लौटने का सिलसिला तेजी पकड़ चुका है। श्रीनगर के साथ ही दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग व पुलवामा से कुछ दिहाड़ीदारों की बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में वापसी हो गई है। अनुमानतः घर लौटने वालों की संख्या 15 हजार को पार कर चुकी है।
ये सब ऐसे लोग हैं जिनका न तो आतंकवाद और न ही आतंकियों से कोई नाता रिश्ता रहा है। न ही ये सुरक्षा बलों को जानते-समझते हैं। प्रवासी तो रोजी-रोजगार के चक्कर में कश्मीर का रुख किए हैं। ज्यादातर दक्ष मजदूर चाहे कारपेंटर हों या फिर पेंट करने वाले, चाहे मजदूर हों या अन्य दक्ष कार्य करने वाले, सब गैर कश्मीरी हैं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी आतंकियों ने तीन ट्रक चालकों को जिंदा जला दिया था। यह सब केवल अपनी उपस्थिति जताने और डर पैदा करने के लिए आतंकियों ने किया था।
जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी डा एसपी वैद कहते हैं कि इन सब घटनाओं के पीछे आईएसआई के हैंडलर हैं। 370 हटने के बाद पिछले कुछ समय से कश्मीर में गतिविधियां बढ़ी हैं। सरकार कश्मीरी पंडितों को उनकी संपत्तियां लौटाने की दिशा में प्रयास कर रही हैं। इससे दोबारा घाटी में हिंदुओं के लौटने का खतरा सीमा पार के लोगों को डराने लगा है। वे कभी भी मिश्रित संस्कृति नहीं चाहते हैं। इस वजह से बाहरी लोगों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।