केंद्र सरकार ने देशभर के पुलिस बलों में महिला कर्मियों की कुल संख्या 33 फीसदी तक करने का निर्देश दिया है. फिलहाल पुलिस में महिलाओं की संख्या 10.30 फीसदी है, लेकिन सरकार के निर्देश के बाद अब ये संख्या बढ़कर जल्द ही 33 फीसदी हो जाएगी. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बीती 10 अगस्त को सदन में जानकारी देते हुए बताया था कि सशस्त्र पुलिस सहित देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए कुल स्वीकृत पुलिस बल 26,23,225 है. इसमें से 5,31,737 रिक्त पद अभी भी खाली हैं.
वहीं पुलिस रिसर्च और डेवलपमेंट ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जनवरी, 2020 तक पुलिस संगठनों के नवीनतम आंकड़ों में यह एक बड़ी चिंता का विषय है. पुलिस अनुसंधान ब्यूरो ने इस मामले में पहले ही संकेत दिए थे कि पुलिस में महिलाओं की हिस्सेदारी बेहद कम है और ये चिंता का विषय है इसे जल्द से जल्द बढ़ाने की जरूरत है.
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि पुलिस विभाग में महिलाओं की संख्य कम होने से महिला अपराधियों के खिलाफ अपराधों से निपटने में गंभीर चुनौतियां सामने आ रही है. इसलिए, जरूरी है कि महिला पुलिसकर्मियों की संख्या को जल्द से जल्द बढ़ाया जाए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वहीं इस मामले में गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुलिस बलों में महिला पुलिस कर्मियों की कम संख्या के बारे में कहा कि पुलिस भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची- II (राज्य सूची) में आने वाला राज्य का विषय है और लिंग संतुलन में सुधार सहित अधिक महिला पुलिस कर्मियों की भर्ती करना मुख्य रूप से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है.
गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी अधिकारी ने आगे कहा कि, केंद्र सरकार ने समय-समय पर राज्यों को पुलिस बलों में महिला कर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में कहा गया है कि हर एक थाने में कम से कम तीन महिला सब-इंस्पेक्टर और 10 महिला पुलिस कांस्टेबल होनी चाहिए, ताकि चौबीसों घंटे एक महिला हेल्प डेस्क की व्यवस्था की जा सके.
महिला पुलिस कर्मियों की कम संख्या पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी अशोक प्रसाद ने बताया कि राज्य सरकारों के पास पैसे की कमी होती है जिसके चलते वह महिला कर्मियों की जगह खाली होने के बावजूद भर्ती नहीं कर पाते. उन्होंने कहा कि मेट्रो हो या बड़े शहर, आपको छोटे शहरों या ग्रामीण पुलिस थानों में महिला पुलिस कर्मियों के लिए अलग से टॉयलेट की सुविधा देखने को नहीं मिलती.