नेपाल में टली भारतीय सेना के लिए गोरखा युवाओं की भर्ती, अग्निपथ पर असमंजस में है नेपाल सरकार

By शिवेंद्र राय | Published: August 25, 2022 04:58 PM2022-08-25T16:58:14+5:302022-08-25T17:00:38+5:30

नेपाल के बुटवल में 25 अगस्त से 7 सितंबर तक और धरान में 19 से 28 सितंबर तक भारतीय सेना के लिए नेपाली गोरखाओं के लिए भर्ती रैली होनी थी। लेकिन नेपाल सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर असमंजस के कारण यह भर्ती टालनी पड़ी है।

Recruitment of Gorkha youth for Indian Army postponed in Nepal government is confused on Agneepath | नेपाल में टली भारतीय सेना के लिए गोरखा युवाओं की भर्ती, अग्निपथ पर असमंजस में है नेपाल सरकार

भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती 1947 में भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच हुई त्रिपक्षीय संधि के तहत होती है

Highlightsअग्निपथ को लेकर असमंजस में है नेपाल सरकारअब तक नहीं ले पाई है कोई फैसलानेपाल सरकार की चुप्पी के कारण सेना भर्ती टालनी पड़ी

नई दिल्ली: नेपाल के बुटवल में 25 अगस्त से सात सितंबर तक भारतीय सेना के लिए नेपाली गोरखा सैनिकों की भर्ती होनी थी। यह भर्ती सेना भर्ती की नई योजना अग्निपथ के तहत होनी थी। लेकिन नेपाल सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर असमंजस के कारण यह भर्ती टालनी पड़ी। नेपाल में गोरखा युवाओं की भारतीय सेना के लिए भर्ती का कार्य उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित 'गोरखा रिक्रूटमेंट डिपो' करता है। इस भर्ती के लिए नेपाल स्थित भारतीय दूतावास ने नेपाल के विदेश मंत्रालय को पत्र भेजकर अनुमति मांगी भी मांगी थी। भर्ती शुरू करने की तारीख 25 अगस्त थी लेकिन नेपाल की  शेर बहादुर देउबा सरकार ने पत्र का कोई जवाब नहीं दिया जिसके कारण सेना भर्ती रोकनी पड़ी।

भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती 1947 में भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच हुई त्रिपक्षीय संधि के तहत होती है। अब तक इस भर्ती कभी कोई व्यवधान नहीं आया था और नेपाली गोरखा भारतीय सेना में अपनी सेवा दे रहे थे। 14 जून 2022 को भारत सरकार ने एक अहम घोषणा करते हुए अग्निपथ योजना के बारे में बताया था। इसके अनुसार 17 से 21 साल के युवाओं को अग्निवीर के रूप में केवल 4 साल के लिए चुना जाएगा। बाद में इन युवाओं में से 25 प्रतिशत को प्रदर्शन के आधार पर नियमित किया जाएगा।

इस योजना को लेकर नेपाल की अपनी चिंताएं हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के विदेश मामलों के सलाहकार अरुण कुमार सुबेदी ने इस मामले पर बीबीसी हिंदी से बात करते हुए कहा,  "भारतीय सेना में नेपाली गोरखा 1947 में ब्रिटेन, भारत और नेपाल के बीच हुई त्रिपक्षीय संधि के तहत भर्ती होते हैं। अभी भारत सरकार ने अपनी सेना में भर्ती नीति में जो बदलाव किया है, उससे संधि का कोई उल्लंघन नहीं होता है लेकिन हमारी कुछ चिंताएं हैं। यह बात सही है कि संधि में सेवा अवधि का जिक्र नहीं है। लेकिन हमारी चिंता है कि चार साल भारतीय सेना में रहने के बाद जो नौजवान वापस आएंगे, वे क्या करेंगे? उनके पास फौज की आधुनिक ट्रेनिंग होगी और ऐसे में इस बात की आशंका है कि उनकी ट्रेनिंग का कोई दुरुपयोग ना कर ले।"

बता दें कि अग्निपथ योजना का भारत में भी काफी विरोध हुआ था और कई जगह हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे। हालांकि सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस योजना को वापस नहीं लेगी और तीनों सेनाओं के लिए आने वाली भर्तियां इसी योजना के अंतर्गत की जाएगी।

Web Title: Recruitment of Gorkha youth for Indian Army postponed in Nepal government is confused on Agneepath

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