आसियान के नेतृत्व वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से भारत के बाहर आ जाने पर सत्ता पक्ष और विपक्ष की कई प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इसी क्रम में विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद ने गुरुवार (14 नवंबर) को राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, ''इस समय कोई भी समझौता नहीं होना एक खराब समझौता होने से बेहतर है।'' विदेश मंत्री ने आगे कहा, ''विश्व मंच पर भारत की स्थिति लगभग तय थी लेकिन चीन के साथ 1962 के युद्ध ने उसे काफी नुकसान पहुंचाया।''
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ''भारत को विभिन्न एजेंडों पर कई सहयोगियों के साथ काम करने के दृष्टिकोण का पालन करने की आवश्यकता है। उन सबकी अपनी अहमियत और प्राथमिकताएं होंगी लेकिन 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' आज की विदेश नीति में प्रासंगिक है।''
बता दें कि इस मामले पर गृहमंत्री अमित शाह का भी बयान आया है। गृहमंत्री ने आरसीईपी से भारत के बाहर आने को साहसिक फैसला बताया था। उन्होंने कहा कि आरसीईपी के सदस्य देश लंबी वक्त तक भारत की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं और वाले समय में भारत सरकार की शर्तों पर सहमत हो जाएंगे। गृहमंत्री शाह ने अंग्रेजी और हिंदी अखबारों में लिखे अपने लेख में ये बातें कहीं।
(पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)