संत रविदास मंदिर मामला: दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद में मंदिर के लिए जमीन देने के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 21, 2019 02:48 PM2019-10-21T14:48:54+5:302019-10-21T14:49:53+5:30
इससे पहले पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था वह दक्षिण दिल्ली में गुरु रविदास मंदिर के निर्माण के लिए श्रद्धालुओं को 200 वर्ग मीटर भूमि कुछ शर्तों के साथ देने को तैयार है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को स्वीकर कर लिया है जिसमें दक्षिण दिल्ली के तुगलकाबाद में संत गुरु रविदास मंदिर के निर्माण के लिए श्रद्धालुओं को जमीन देने की बात कही है। केंद्र सरकार ने ये भी कहा है कि वह रविदास मंदिर के लिए दी जाने वाली प्रस्तावित जमीन के क्षेत्र को भी बढ़ाने के लिए तैयार है।
कोर्ट ने साथ ही यह भी निर्देश दिया कि मंदिर के लिये निर्धारित जगह के आस-पास कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधि नहीं चलायेगा। शीर्ष अदालत ने इस मंदिर को गिराये जाने की घटना के विरोध में आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को उनके द्वारा निजी मुचलका देने पर रिहा करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने केंद्र को ये भी निर्देश दिया कि वह 6 हफ्ते में एक कमेटी बनाए जो यहां होने वाले निर्माण पर नजर रखेगा।
इससे पहले पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था वह दक्षिण दिल्ली में गुरु रविदास मंदिर के निर्माण के लिए श्रद्धालुओं को 200 वर्ग मीटर भूमि कुछ शर्तों के साथ देने को तैयार है। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल के. वेणुगोपाल के प्रस्ताव को दर्ज किया और मंदिर के निर्माण की मांग कर रहे पक्षकारों से कहा कि यदि उन्हें कोई आपत्ति है तो वे सोमवार तक इसे दर्ज कराएं।
Delhi's Ravidas temple matter: Supreme Court today accepted Central government's proposal to hand over the demolished Ravidas temple site to a committee of devotees to reconstruct the temple in Tughlakabad area in South Delhi. pic.twitter.com/higGMghwxS
— ANI (@ANI) October 21, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के तुगलकाबाद वन क्षेत्र में गुरु रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की अनुमति का अनुरोध करने संबंधी याचिका के संबंधित पक्षकारों से चार अक्टूबर को कहा था कि वे मंदिर के लिये एक बेहतर जगह के सर्वमान्य समाधान के साथ उनके पास वापस आएं। कोर्ट ने कहा था कि वह सभी की भावनाओं का सम्मान करता है लेकिन कानून का पालन तो करना ही होगा। कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था जिसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे।
(भाषा इनपुट)