Yes Bank Taza Khabar: राणा कपूर की करीबी सेक्रेटरी का नाम आया सामने, की थी करोड़ों की डील, प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट को बताई हेराफेरी की पूरी कहानी
By गुणातीत ओझा | Published: March 9, 2020 01:57 PM2020-03-09T13:57:45+5:302020-03-09T14:32:50+5:30
ईडी ने कोर्ट को बताया कि राणा की सेक्रेटरी लता दवे ने डीएचएफएल के उच्चपदस्थ अधिकारियों के साथ डील कर 600 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। ईडी इस रकम को रिश्वत के तौर पर देख रही है।
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में घिरे यस बैंक संस्थापक राणा कपूर के कई राज अब बेपर्दा हो रहे हैं। इस कड़ी में उनकी एक सेक्रेटरी की भूमिका सामने आई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोर्ट के सामने इस सेक्रेटरी द्वारा की गई करोड़ों की डील को उजागर किया है। ईडी ने रविवार को कोर्ट के सामने कई अहम तथ्य रखे जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी कई बातें थीं। ईडी ने कोर्ट बताया कि किस तरह राणा कपूर ने अपने परिवार के नियंत्रण वाली कंपनियों का इस्तेमाल कर 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रिश्वत ली। राणा कपूर 11 मार्च तक ईडी की निगरानी में हैं।
सेक्रेटरी के जरिए डील
ईडी ने कोर्ट को बताया कि राणा की सेक्रेटरी लता दवे ने डीएचएफएल के उच्चपदस्थ अधिकारियों के साथ डील कर 600 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। ईडी इस रकम को रिश्वत के तौर पर देख रही है। यह कर्ज डीओआईटी (DOIT) अर्बन वेंचर्स नाम के फर्म के मद में लिया गया था। गौर करने वाली बात यह है कि यह फर्म राणा कपूर की तीनों बेटियों की देखरेख में है। ईडी ने कोर्ट को बताया कि यह रिश्वत यस बैंक द्वारा डीएचएफल ग्रुप की कंपनियों के लिए मंजूर किए गए लोग और 4,450 करोड़ रुपये के डिबेंचर इन्वेस्टमेंट के बदले में थी।
2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेराफेरी
टीओआई में छपी खबर के मुताबिक ईडी सूत्रों का आरोप है कि राणा कपूर ने कई मामलों में अपने पद का गलत इस्तेमाल कर अपने परिवार के नियंत्रण वाली कंपनियों के लिए 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रिश्वत ली। सीबीआई ने जब राणा कपूर और उनके परिवार के खिलाफ केस दर्ज किया तो ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी उनके खिलाफ अपनी जांच तेज कर दी। ईडी ने कोर्ट को बताया कि अप्रैल 2018 से जून 2018 के बीच यस बैंक ने डीएचएफएल में 3,700 करोड़ रुपये की इनवेस्टमेंट की थी। यह इनवेस्टमेंट 600 करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी मिलने के बाद हुई थी।
सीबीआई ने राणा कपूर पर कसी नकेल
सीबीआई ने यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर, दीवान हाउसिंह (डीएचएफएल) और डीओआईटी अर्बन वेंचर्स कंपनी के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। कपूर इस समय प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं। सूत्रों ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि यह आरोप है कि जब घोटाले से ग्रसित डीएचएफएल को यस बैंक ने 3,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया, तो राणा के परिवार से जुड़ी कंपनी डीओआईटी अर्बन वेंचर्स को कथित रूप से 600 करोड़ रुपये मिले। सूत्रों ने बताया कि यह आरोप है कि बैंक ने धन की वसूली के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए और ऐसा संदेह है कि बैंक के उस उदार रुख का डीओआईटी वेंचर्स को मिले धन से संबंध है।
जानें आरबीआई की योजना
सूत्रों ने बताया था कि सीबीआई ने यस बैंक के मामलों की जांच शुरू कर दी है और अधिकारी इस मामले में दस्तावेज इकट्ठा कर रहे हैं। कथित अनियमतताओं के कारण वित्तीय संकट में घिरे यस बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक की नियामकीय कार्रवाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने राणा कपूर को मनी लांडरिंग (स्याह धन को सफेद करने) के आरोपों की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया है। कपूर (62) से पूछताछ की जा रही है। कहा जा रहा है कि डीओआईटी अर्बन वेंचर्स (इंडिया) प्राइवेट लि कपूर परिवार की कंपनी है और उसे घोटाले से प्रभावित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी डीएचएफल को 3000 करोड़ रुपये का कर्ज देने के बाद 600 रुपये की राशि मिली जो कथित तौर पर रिश्वत थी। दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि पर उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों के भाविष्य निधि कोष से 2200 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में सीबीआई पहले ही मुकदमा कायम कर चुकी है। इसके साथ ही इस बैंक के स्वामित्व का पुनर्गठन करने की योजना पर काम भी शुरू कर दिया है ताकि बैंक को बचाया जा सके और इसमें धन जमा करने वाले इसके ग्राहकों का हित सुरक्षित किया जाएगा। आरबीआई की योजना के मसौदे के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक यस बैंक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा।