छात्रों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाते हुए स्कूलों को फिर से खोलने के लिए मोदी सरकार के पास क्या है फुलप्रूफ प्लान, रमेश पोखरियाल निशंक ने दिया जवाब

By एसके गुप्ता | Published: May 27, 2020 06:05 PM2020-05-27T18:05:29+5:302020-05-27T18:05:29+5:30

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से लोकमत के वरिष्ठ संवाददाता एसके गुप्ता ने खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि यूजीसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार 60-70 फीसदी क्लासरूम टीचिंग होगी और 30-40 फीसदी ऑनलाइन शिक्षण होगा।

Ramesh Pokhriyal Nishank replies to what the Modi government has for the reopening of schools to save students from Kovid-19 infection | छात्रों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाते हुए स्कूलों को फिर से खोलने के लिए मोदी सरकार के पास क्या है फुलप्रूफ प्लान, रमेश पोखरियाल निशंक ने दिया जवाब

एमएचआरडी ने यूजीसी के तहत अकादमिक कैलेंडर और परीक्षाओं के मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक कार्यबल का गठन किया था।

Highlightsकोरोना काल में स्कूली और कॉलेज छात्र घरों में बंद है। यूजीसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार 60-70 फीसदी क्लासरूम टीचिंग होगी

नई दिल्ली: कोरोना काल में स्कूली और कॉलेज छात्र घरों में बंद है। हर किसी को इस बात का इंतजार है कि आखिर स्कूल कॉलेज कब खुलेंगे? शिक्षण संस्थान खुलेंगे तो नए नियम क्या होंगे और केंद्र सरकार देश के स्कूल-कॉलेजों को खोलने के लिए क्या काम कर रही है? इसके अलावा देश में रुकी हुई परीक्षाएं, परीक्षा परिणाम, नई शिक्षा नीति और डिजिटल मोड पर चल रही पढ़ाई को लेकर सरकार का क्या नजरिया है?

 इन सभी पहलुओं पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से लोकमत के वरिष्ठ संवाददाता एसके गुप्ता ने खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि यूजीसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार 60-70 फीसदी क्लासरूम टीचिंग होगी और 30-40 फीसदी ऑनलाइन शिक्षण होगा। मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा की स्कूलों के खुलने के बारे में अटकलें लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमारी पहली प्राथमिकता अपने छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस संबंध में मैं राज्य के शिक्षा मंत्रियों, शिक्षा सचिवों, सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्डों के साथ लगातार संपर्क में हूं। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के मुख्य अंश:-

 प्रश्न : छात्रों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाते हुए स्कूलों को फिर से खोलने के लिए सरकार के पास क्या फुलप्रूफ योजना है?

उत्तर: मंत्रालय ने छात्रों एवं अध्यापकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूल और कॉलेज खुलने पर उन्हें  'सोशल डिस्टेंसिंग’ के दिशानिर्देश पालन करने को कहा है, जिससे सभी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. स्कूलों के लिए सोशल डिस्टैन्सिंग के दिशानिर्देश एनसीईआरटी तैयार कर रही है वहीं कॉलेजों के लिए ये नियम यूजीसी बना रहा है।

प्रश्न: कई सारी परिक्षाएं टल गई हैं फिर परीक्षाओं को रिशेड्यूल किया गया है। छात्रों को डर है कि कही उनका साल बरबाद ना हो जाए। छात्रों से आप क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर: रुकी हुई परीक्षा की तारीखें घोषित की जा चुकी हैं, जिससे छात्रों एवं अभिभावकों की परीक्षा संबंधित शंका को दूर कर दिया गया है। सीबीएसई की परीक्षाएं 1 से 15 जुलाई के बीच होंगी, जेईई (मेन) की परीक्षाएं 18-23 जुलाई के बीच होंगी, नीट की परीक्षा 26 जुलाई को होंगी और जेईई (एडवांस) की परीक्षा 23 अगस्त को होगी। जहां तक बात स्कूल, कॉलेजों को खोलने की बात है तो इस बारे में मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा की स्कूलों के खुलने के बारे में अटकलें लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमारी पहली प्राथमिकता अपने छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस संबंध में, मैं राज्य के शिक्षा मंत्रियों, शिक्षा सचिवों, सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्डों के साथ लगातार संपर्क में हूं।

छात्रों की पढ़ाई अनवरत जारी रहे यह सुनिश्चित करने के लिए हमने ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से सभी छात्रों को शैक्षिक संसाधन उपलब्ध करवाए हैं, पाठ भी टीवी पर प्रसारित किए जा रहे हैं। इसके अलावा एनसीईआरटी ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं दोनों के लिए वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया है जो डिजिटल और गैर-डिजिटल दोनों माध्यमों से सीखना संभव बनाता है। कक्षा नवीं से बारहवीं तक का वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर जल्द ही जारी किया जाएगा।

हम ये सुनिश्चित करेंगे कि परीक्षा प्रक्रिया में कोई समस्या ना आये और परीक्षाओं का विधिवत संचालन करवाते समय 'सोशल डिस्टेंसिंग' के नियमों का पालन सख्ती से किया जाए। बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा कर दी गई है और उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी शुरु हो चुका है। बहुत जल्द पूरे हम एजुकेशन सेक्टर के लिए एक समग्र समाधान लेकर आएंगे।

प्रश्न: कोरोना की वजह से शिक्षा का एक बड़ा फोकस डिजिटल शिक्षा की तरफ हो गया है। क्या आपको लगता है कि आने वाले दिनों में हम डिजिटल शिक्षा को और ज्यादा तेजी से अपनाएंगे?

उत्तर : विश्व के दूसरे देश जब यह चर्चा कर रहे हैं कि वो लॉकडाउन हटाएं या नहीं हमारे देश में अध्यापकों की प्रतिबद्धता और कर्तव्यबोधता की वजह ये हमने बच्चों की शिक्षा को अनवरत रूप से जारी रहने दिया है। मुझे खुशी है कि बड़ी संख्या में छात्रों और काम करने वाले पेशेवरों ने अपने कौशल को बढ़ाने के लिए ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म में शामिल होने के लिए ऑनलाइन शिक्षा की अधिक स्वीकृति दी है. सीखने के प्लेटफार्मों में DIKSHA, NISHTHAM, E-Pathshala, SWAYAM, SWAYAM Prabha, NROER, - PG Pathshala, Shodhganga, E - Shodhsindhu, E - Yantra, FOSSE, Virtual Labs, SAMARTH, VIDWAN, Shodh Sudhi शामिल हैं। उच्च शिक्षा के प्रमुख ऑनलाइन शैक्षणिक पोर्टलों जैसे SWAYAM, SWAYAM Prabha, Virtual Labs, FOSSEE, E - Yantra और स्पोकन ट्यूटोरियल पर हिट्स की संख्या लॉकडाउन के बाद 5 गुना हो गई है। लॉकडाउन के एक सप्ताह के भीतर, DIKSHA के उपयोग में 2.5 गुना वृद्धि हुई थी। जहां तक ऑनलाइन शिक्षा की बात है तो यूजीसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार 60-70 फीसदी क्लासरूम टीचिंग होगी और 30-40 फीसदी ऑनलाइन शिक्षण होगा। इसलिए हमारे यशस्वी प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की वजह से भारत ने इस संकट काल में खुद को विश्व गुरु के तौर पर स्थापित कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लिंक्डइन लेख में स्पष्ट रूप से कहा है “आखिरकार, प्रौद्योगिकी का सबसे परिवर्तनकारी प्रभाव अक्सर गरीबों के जीवन में होता है. यह प्रौद्योगिकी है जो नौकरशाही पदानुक्रम को ध्वस्त करती है, बिचौलियों को समाप्त करती है और कल्याणकारी उपायों को तेज करती है।”

भारत को हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी के तौर पर देखा जाता रहा है। इस प्रकार हमें अपने आप को रोल मॉडल साबित करने की जरूरत है ही नहीं. जिस प्रकार भारत सरकार के कोरोना के खिलाफ जंग में किये गए प्रयासों के लिए पूरे विश्व में सराहना मिल रही है उसी प्रकार ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को और सुदृढ़ और सुगम बनाने के लिए चलायी जा रही मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं को भी इस संकट काल के समय में एक नयी दिशा के तौर पर देखा जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में तो भारत ने वैसे ही विश्व में अपना लोहा मनवाया हुआ है। संपूर्ण विश्व में भारत की शिक्षा प्रणाली और यहां के मेधावियों का सम्मान किया जाता है। विश्व की बड़ी-बड़ी संस्थाओं के सबसे ऊंचे पद पर कोई न कोई भारतवंशी ही है चाहे आप गूगल को देखें, माइक्रोसॉफ्ट को देखें या किसी और बड़ी संस्था को।

प्रश्न: बहुत से मां-बाप स्कूल फीस को लेकर परेशान हैं। राज्य अपने हिसाब से छूट देने या न देने को लेकर बातें कह रहे हैं। क्या सम्भव है कि स्कूली फीस को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक नीति बन जाए?

उत्तर: माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महामारी के दौरान सभी से मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देने की अपील की है। उनकी अपील को ही आगे रखते हुए, मैंने सभी निजी विद्यालयों से यह आग्रह किया है कि इस स्वास्थ्य आपातकाल की कठिन परिस्थिति को देखते हुए वो अभिभावकों से बढ़ी हुई फीस ना लें। इसके अलावा मैंने उनसे एक साथ तीन महीने की फीस ना लेने की बात भी कही है। साथ ही स्कूलों को अपने स्टाफ का वेतन भी समय से देने को कहा गया है। कुछ राज्यों एवं जिला प्रशासनों ने स्कूलों को फीस ना बढ़ाने के निर्देश दे भी दिए हैं।

प्रश्न: कोरोना काल में देश का मानव संसाधन विकास मंत्रालय कैसे काम कर रहा है..किस तरह के ऐहतियात बरते जा रहे है?

उत्तर: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि हमें "मूल्यांकन करना चाहिए कि नए अवसर या विकास के क्षेत्र कौन से हो सकते हैं, जो कोविड-19 के कारण उभरेंगे। मंत्रालय उसे ध्यान में रखते हुए तालाबंदी की अवधि के दौरान 24 घंटे 7 दिन बिना किसी अवकाश के काम कर रहा है। छात्रों की चिंताओं को स्वीकार करने के लिए लॉकडाउन के शुरुआती दौर में हमने विभिन्न वर्गों के लिए छात्रों के लिए पदोन्नति नीति के साथ शुरुआत करते हुए कई उपायों की घोषणा की थी। पदोन्नति नीति की घोषणा के बाद हमने विभिन्न परीक्षाओं को स्थगित करने के संबंध में निर्णय दिए। हमने विभिन्न मुद्दों से निपटने के लिए विभिन्न टास्क फोर्स का गठन किया है। मंत्रालय ने निम्नलिखित कार्य बलों की स्थापना की है। टास्कफोर्स में ऑनलाइन शिक्षा पर टास्क फोर्स, मेंटल हेल्थ मुद्दों पर टास्क फोर्स और अकादमिक कैलेंडर और परीक्षाओं में टास्क फोर्स शामिल हैं। टास्कफोर्स ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है और उन पर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में, हमने बोर्ड परीक्षा और विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं के परीक्षा कार्यक्रम की भी घोषणा की है।

हम कोविड-19 से निपटने के लिए निवारक उपायों पर गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों का विधिवत पालन कर रहे हैं। इन दिशानिर्देशों का न केवल मंत्रालय और इसकी स्वायत्त इकाइयों के अधिकारियों, हमारे छात्रों, शिक्षक और अभिभावकों द्वारा भी पालन किया जा रहा है।

प्रश्न: राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट कैबिनेट में जाने तो तैयार है । शिक्षा में  क्या बदलाव लाएगी यह नीति?

उत्तर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21 वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और इसका लक्ष्य इस देश की कई बढ़ती विकासवादी शक्तियों को संबोधित करना होगा। यह नीति अपने विनियमन और शासन सहित शिक्षा संरचना के सभी पहलुओं में संशोधन और संशोधन का प्रस्ताव करती है। यह एक नई प्रणाली बनाएगा, जो भारत की परंपराओं और मूल्य प्रणालियों के अनुरूप शेष रहते हुए, 21 वीं सदी की शिक्षा के आकांक्षात्मक लक्ष्यों के साथ संरेखित है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपनी प्रत्येक समृद्धि और जटिलता में, प्रत्येक व्यक्ति की रचनात्मक क्षमता के विकास पर विशेष जोर देती है। यह इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा को न केवल संज्ञानात्मक कौशल विकसित करना चाहिए। यह साक्षरता और संख्यात्मकता और उच्च-क्रम के संज्ञानात्मक कौशल जैसे महत्वपूर्ण सोच और समस्या को हल करने के साथ-साथ सांस्कृतिक जागरूकता और सहानुभूति, दृढ़ता और धैर्य, टीम वर्क, नेतृत्व, संचार सहित अन्य सामाजिक और भावनात्मक कौशल का विकास को लेकर आधारित है।

प्रश्न: विश्वविद्यालय कॉलेजों में अब मौजूदा चुनौतियों के बीच दाखिले कैसे होंगे? उत्तर : कई स्कूल बोर्ड अभी तक अपनी बारहवीं कक्षा की परीक्षाएं पूरी नहीं कर पाए हैं। विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर की परीक्षाएं भी राष्ट्रीय लॉकडाउन के कारण विलंबित हो रही हैं। स्वाभाविक रूप से, ये सभी चीजें अगले शैक्षणिक सत्र के लिए विश्वविद्यालय प्रणाली में प्रवेश प्रक्रिया में देरी करेंगी। इस स्थिति से निपटने के लिए, विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए अपने शैक्षणिक कैलेंडर में कुछ संशोधनों की आवश्यकता हो सकती है। अगर विश्वविद्यालय को मौजूदा नीति के अनुसार प्रवेश लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, तो यह प्रवेश प्रक्रिया के वैकल्पिक तरीकों को अपना सकते हैं।

एमएचआरडी ने यूजीसी के तहत अकादमिक कैलेंडर और परीक्षाओं के मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक कार्यबल का गठन किया था। प्रवेश प्रक्रिया के संदर्भ में टास्कफोर्स ने निम्नलिखित दिशानिर्देश दिए हैं -

1. सत्र 2020-21 के लिए यूजी और पीजी कार्यक्रमों में दाखिले 31.08.2020 तक पूरे हो जाएं। आवश्यकता पड़ने पर विवि अनंतिम प्रवेश भी कर सकते हैं। साथ ही योग्यता परीक्षा के प्रासंगिक दस्तावेज 30.09.2020 तक स्वीकार किए जा सकते हैं.

2. शैक्षणिक सत्र 2020-21 पुराने छात्रों के लिए 01.8.2020 और नए छात्रों के लिए 01.09.2020 से शुरू हो सकता है.

प्रश्न: छात्रों को नई किताबें नहीं मिल पा रही हैं..हालांकि लॉकडाउन में किताब की दूकानों को कुछ राहत दी गई है, उस पर क्या कहेंगे?

उत्तर : महामारी के समय भी एनसीईआरटी ने लंबे समय से सभी राज्यों में पुस्तकों का प्रसार शुरू कर दिया था। मेरा मानना है कि पाठ्यपुस्तकें देश के हर कोने तक पहुंची हैं। छात्रों को किताबें वितरित करने के लिए राज्य सरकारें भी हर कदम उठा रही हैं। छात्र ई-पाठशाला और दीक्षा पर ई-पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न: नवीं और ग्यारहवीं कक्षा में फेल छात्रों को एक और मौका देने की क्या वजह रही?

उत्तर: पहले मंत्रालय द्वारा यह निर्देश दिए गए थे कि नौवीं और ग्यारहवीं के छात्रों को स्कूलों  मूल्यांकन के आधार पर पास किया जाए। लेकिन बाद में कुछ छात्रों ने यह अवगत करवाया कि उनके स्कूलों ने परीक्षाएं करवा दी हैं। जिनमें वो पास होने में असफल रहे हैं। इसलिए हमने उन छात्रों को एक और मौका दिया है ताकि वो परीक्षा देकर आगे बढ़ सकें।

प्रश्न: कई विश्वविद्यालयों ने शिकायत निवारण के लिए कोई ग्रीवांस सेल नहीं बनाया है, उनके लिए क्या निर्देश हैं?

उत्तर : हर विश्वविद्यालय को यह दिशानिर्देश दिए जा चुके हैं कि उन्हें अपने यहां एक कोविड सेल का गठन करना है। यूजीसी ने भी एक कोविड सेल बनाया है जिसका नंबर है 011-23236374 है। छात्र विश्वविद्यालय में समाधान न होने पर यहां संपर्क कर सकते हैं।

प्रश्न: आपने कई वेबिनार में छात्र, शिक्षक और अभिभावकों से सीधा संवाद किया। क्या रिस्पॉन्स रहा और अगर इनमें से किसी को आपके पास कोई सुझाव भेजना हो तो कैसे कॉन्टेक्ट कर सकते हैं?

उत्तर: मैंने वेबिनार इसलिए किया जिससे मैं अभिभावकों, छात्रों और अध्यापकों के सामने सामने आ रही चुनौतियों और मुद्दों को समझ सकूं। साथ ही उन्हें समझकर उनके अनुसार हल दे सकूं। इन सभी वेबिनार का बहुत अच्छा रिस्पांस मिला। काफी संख्या में अभिभावक, छात्र और अध्यापक वेबिनार से जुड़े थे और उन्होनें अपने सवाल भी पूछे एवं कुछ अच्छे सुझाव भी दिए।

इन सभी वेबिनार संवादों के माध्यम से, मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यदि हम सभी एक साथ काम करेंगे तो हम अपने प्यारे देश भारत की शिक्षा प्रणाली को मजबूत कर पाएंगे। इसलिए, मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे ट्विटर और फेसबुक पर लिखें।

अगर किसी को मेरे साथ सुझाव साझा करना है या कोई भी प्रश्न पूछना है तो वे इसे ट्विटर (DrRPNishank) और फेसबुक (@ccmnishank) पर मुझे लिख सकते हैं। मैं उनके प्रश्नों का उत्तर अवश्य दूंगा।

Web Title: Ramesh Pokhriyal Nishank replies to what the Modi government has for the reopening of schools to save students from Kovid-19 infection

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