केरल: कांग्रेस नेता ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद को बताया RSS-BJP की कठपुतली, कहा-कमजोर कर रहे हैं संघीय ढ़ाचा
By एएनआई | Published: January 29, 2020 02:57 PM2020-01-29T14:57:26+5:302020-01-29T14:57:26+5:30
आरिफ मोहम्मह खान आगे कहा कि विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव और कानून के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के कदम को लेकर राज्य सरकार के साथ टकराव रखने वाले खान ने कहा कि हालांकि उनकी इस विषय पर‘आपत्तियां और असहमति’ है लेकिन वह मुख्यमंत्री की इच्छा का ‘सम्मान’ करते हुए नीतिगत संबोधन के 18वें पैराग्राफ को पढ़ेंगे।
केरल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच विवाद चल रहा है। इसी बीच कांग्रेस पार्टी के नेता रमेश चेन्नीथला ने बुधवार (29 जनवरी) को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पर राज्य के संघीय ढ़ाचा कमजोर करने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने मोदी सरकार पर अन्य राज्य की गैर-बीजेपी सरकार को कमजोर करने का आरोप लगाया है।
रमेश चेन्नीथला कहा, 'आरिफ मोहम्मद केरल में गृह मंत्री अमित शाह का हथियार बनकर राज्य की गैर-बीजेपी सरकार को कमजोर कर रहे हैं।' उन्होंने अन्य गैर-बीजेपी राज्य सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि पंजाब, पुडुचेरी और महाराष्ट्र को देखें। सभी गैर-बीजेपी सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विवाद का सामना कर रही हैं। इसलिए हमने सीएए के लिए प्रस्ताव रखा और "रिकॉल गर्वनर" के स्लोगन लगे पोस्टर्स दिखाए। रमेश चेन्नीथला ने राज्यपाल पर बीजेपी के राज्य अध्यक्ष के तौर पर काम करने का आरोप लगाया।
वहीं, कांग्रेस के नेता ने कहा कि सीपीएम सीएए के मुद्दे पर भरोसेमंद नहीं है और वह राज्य के लिए लोगों के साथ धोखा कर रही है। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बुधवार को बजट सत्र के दौरान विधानसभा में सीएए विरोधी एक प्रैराग्राफ पढ़ा। उन्होंने कहा कि हालांकि वह राज्य द्वारा पारित प्रस्ताव से असहमत हैं लेकिन वह केंद्र सरकार से सीएए को वापस लेने का अनुरोध करते हैं।
आरिफ मोहम्मह खान आगे कहा कि विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव और कानून के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के कदम को लेकर राज्य सरकार के साथ टकराव रखने वाले खान ने कहा कि हालांकि उनकी इस विषय पर‘आपत्तियां और असहमति’ है लेकिन वह मुख्यमंत्री की इच्छा का ‘सम्मान’ करते हुए नीतिगत संबोधन के 18वें पैराग्राफ को पढ़ेंगे।
राज्य सरकार के सीएए विरोधी रुख भरे संदर्भों को पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि हमारी नागरिकता धर्म के आधार पर नहीं हो सकती क्योंकि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है जो कि हमारे संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।