राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिदः मुस्लिम पक्षकारों ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय देश की भावी राज्य व्यवस्था पर असर डालेगा

By भाषा | Published: October 21, 2019 07:47 PM2019-10-21T19:47:28+5:302019-10-21T19:47:28+5:30

न्यायालय ने सोमवार को यह नोट उसके समक्ष दाखिल करने की अनुमति दे दी थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ से इन पक्षकारों के वकील ने अनुरोध किया कि उन्हें पांच सदस्यीय संविधान पीठ के अवलोकन के लिये राहत में बदलाव संबंधी यह लिखित नोट रिकार्ड पर लाने की अनुमति दी जाये।

Ram Janmabhoomi-Babri Masjid: Muslim parties said- Supreme Court decision will affect future state system | राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिदः मुस्लिम पक्षकारों ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय देश की भावी राज्य व्यवस्था पर असर डालेगा

मुस्लिम पक्षकारों ने बाद में विरोधी पक्षकारों और आम जनता के लिये नोट जारी किया।

Highlightsपीठ ने छह अगस्त से 16 अक्टूबर तक लगातार 40 दिन इस विवाद की सुनवाई के बाद कहा था कि इस पर निर्णय बाद में सुनाया जायेगा।पीठ ने हालांकि मुस्लिम पक्षकारों को राहत में बदलाव के बारे में लिखित नोट दाखिल करने की इजाजत दे दी।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सुन्नी वक्फ बोर्ड सहित सभी मुस्लिम पक्षकारों ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपने लिखित नोट में सोमवार को कहा कि इस विवाद के निर्णय का ‘भावी पीढ़ियों’ पर प्रभाव पड़ेगा और इसका भारत की राज्य व्यवस्था पर असर होगा।

न्यायालय ने सोमवार को यह नोट उसके समक्ष दाखिल करने की अनुमति दे दी थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ से इन पक्षकारों के वकील ने अनुरोध किया कि उन्हें पांच सदस्यीय संविधान पीठ के अवलोकन के लिये राहत में बदलाव संबंधी यह लिखित नोट रिकार्ड पर लाने की अनुमति दी जाये।

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने छह अगस्त से 16 अक्टूबर तक लगातार 40 दिन इस विवाद की सुनवाई के बाद कहा था कि इस पर निर्णय बाद में सुनाया जायेगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड और मूल मुस्लिम वादकारियों के वारिस एम सिद्दीक और मोहम्मद हाशिम ने पीठ से कहा कि उन्होंने न्यायालय के निर्देशानुसार यह लिखित नोट सीलबंद लिफाफे में दाखिल किया था लेकिन रजिस्ट्री ने इसे रिकार्ड पर लेने से यह कहते हुये इंकार कर दिया कि इसे दूसरे पक्षकारों को नहीं दिया गया है।

निर्मोही अखाड़ा, गोपाल सिंह विशारद और देवकी नंदन अग्रवाल के माध्यम से ‘राम लला विराजमान’ ने 1959, 1950 और 1989 में अयोध्या भूमि विवाद में अलग अलग वाद दायर किये थे। वकील ने कहा, ‘‘हमने अब यह लिखित नोट रविवार को सभी पक्षकारों को दे दिया है और पीठ से अनुरोध किया कि रजिस्ट्री को इसे रिकार्ड पर लेने का निर्देश दिया जाये। इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘यह (लिखित नोट) सीलबंद लिफाफे मे मेरी मेज पर है। लेकिन इसका विवरण (एक अंग्रेजी दैनिक) के पहले पन्ने पर है। इसे वहीं रहने दें।’’

पीठ ने हालांकि मुस्लिम पक्षकारों को राहत में बदलाव के बारे में लिखित नोट दाखिल करने की इजाजत दे दी। मुस्लिम पक्षकारों ने बाद में विरोधी पक्षकारों और आम जनता के लिये नोट जारी किया। मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन द्वारा तैयार किये गये इस नोट में कहा गया है, ‘‘इस मामले में न्यायालय के समक्ष पक्षकार मुस्लिम पक्ष यह कहना चाहता है कि इस न्यायालय का निर्णय चाहे जो भी हो, उसका भावी पीढ़ी पर असर होगा। इसका देश की राज्य व्यवस्था पर असर पड़ेगा।’’

इसमें कहा गया है कि न्यायालय का फैसला इस देश के उन करोड़ों नागरिकों और 26 जनवरी, 1950 को भारत को लोकतंत्रिक राष्ट्र घोषित किये जाने के बाद इसके सांविधानिक मूल्यों को अपनाने और उसमें विश्वास रखने वालों पर असर डाल सकता है। इसमे यह भी कहा गया है कि शीर्ष अदालत के निर्णय के दूरगामी असर होंगे, इसलिए न्यायालय को अपने ऐतिहासिक फैसले में इसके परिणामों पर विचार करते हुये राहत में ऐसा बदलाव करना चाहिए जो हमारे सांविधानिक मूल्यों में परिलक्षित हो।

हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों ने शनिवार को शीर्ष अदालत में अपने अपने लिखित नोट दाखिल किये थे। राम लला विचारमान के वकील ने जोर देकर कहा है कि इस विवादित स्थल पर हिन्दू आदिकाल से पूजा अर्चना कर रहे हैं और भगवान राम के जन्म स्थान के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

शीर्ष अदालत ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी। संविधान पीठ ने सभी पक्षकारों से कहा था कि वे इस विवाद में मांगी गयी राहत में बदलाव करने संबंधी लिखित नोट तीन दिन के भीतर दाखिल करें। राम लला विराजमान के साथ ही निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारत हिन्दू महासभा और श्रद्धालु विशारद ने इस मामले में रविवार को ही लिखित नोट दाखिल कर दिये थे। 

Web Title: Ram Janmabhoomi-Babri Masjid: Muslim parties said- Supreme Court decision will affect future state system

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