दो महीने में ही राज्यसभा महासचिव को पद से हटाया गया, सत्र शुरू होने से ठीक पहले फैसला, विपक्ष ने जताया आश्चर्य
By विशाल कुमार | Published: November 13, 2021 07:55 AM2021-11-13T07:55:46+5:302021-11-13T07:57:51+5:30
दो महीने में पी. पी. के. रामाचार्युलु को हटाए जाने पर कांग्रेस नेता व राज्यसभा के सांसद जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा कि मुझे तनिक भी आश्चर्य नहीं हुआ. रामाचार्युलु एक पेशेवर, गैर-पक्षपाती और इस पद के लिए पूरी तरह योग्य थे. मोदी सरकार में यह तीनों ही गुण अभिशाप हैं.
नई दिल्ली: राज्यसभा के महासचिव पद पर नियुक्ति होने के दो महीने में ही पी. पी. के. रामाचार्युलु को हटाने पर विपक्ष ने आश्चर्य जताया है. यह फेरबदल संसद का शीत सत्र 29 नवंबर से शुरू होने से पहले हुआ है.
राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद चंद्र मोदी उच्च सदन के नए महासचिव होंगे.
उनके मुताबिक, राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस संबंध में जारी एक आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. मोदी भारतीय राजस्व सेवा (आयकर कैडर) के 1982 के बैच के अधिकारी हैं.
रामाचार्युलु को अब राज्यसभा सचिवालय में सलाहकार नियुक्त किया गया है. उन्हें सितंबर में राज्यसभा का महासचिव नियुक्त किया गया था। सूत्रों ने बताया कि उन्हें इस पद से क्यों हटाया गया, इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.
राज्यसभा के महासचिव, सचिवालय के प्रशासनिक प्रमुख तथा सभापति की ओर से और उनके नाम से संचालित सभी प्रशासनिक और अधिशासी कार्यों के समग्र प्रभारी होते हैं.
सत्र शुरू होने ठीक पहले तबादले पर विपक्ष ने जताय आश्चर्य
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह आश्चर्यजनक और चौंकाने वाला है. जब सत्र पहले ही बुलाया जा चुका था, तो अचानक यह फैसला क्यों लिया गया, इसके क्या कारण हैं? इसके पीछे क्या मकसद और मंशा है, हमें पता लगाना होगा. उन्होंने कहा कि सामान्य प्रथा कानून विशेषज्ञों को महासचिव नियुक्त करना है.
उन्होंने कहा कि क्या उन्होंने भारत के उपराष्ट्रपति से परामर्श किया है जो सदन के सभापति भी हैं, हम नहीं जानते। वह भी हमें पता लगाना होगा।
दो महीने के भीतर रामाचार्युलु को हटाए जाने पर कांग्रेस नेता व राज्यसभा के सांसद जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मुझे तनिक भी आश्चर्य नहीं हुआ. रामाचार्युलु एक पेशेवर, गैर-पक्षपाती और इस पद के लिए पूरी तरह योग्य थे---मोदी सरकार में यह तीनों ही गुण अभिशाप हैं.’’
वहीं, टीएमसी और राजद ने भी इस फैसले पर आश्चर्य जताया.
टीएमसी के चीफ व्हिप सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि यह पता नहीं चल पाया है कि मुश्किल से 73 दिन पहले नियुक्त किए गए एक व्यक्ति की जगह अचानक एक आईआरएस अधिकारी ने क्यों ले ली?
राजद नेता मनोज झा ने कहा कि मुझे यह बहुत ही विचित्र और अकथनीय लगता है. वह एक भी सत्र में शामिल नहीं हो सके क्योंकि उनकी नियुक्ति अंतिम सत्र समाप्त होने के बाद की गई थी. और एक नए सत्र की पूर्व संध्या पर आप किसी नए को लेकर आते हैं; जो सवाल उठाता है.
मोदी के खिलाफ वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री से की गई थी शिकायत
जून 2019 में एक मुख्य आयकर आयुक्त (मुंबई) ने मोदी के खिलाफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें अधिकारी ने मोदी पर एक संवेदनशील मामले को दफनाने का आदेश देने का जिक्र किया था.
शिकायत मुख्य आयुक्त द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय को भेजी गई थी. यह भी आरोप लगाया गया कि सीबीडीटी अध्यक्ष ने मुख्य आयुक्त को सूचित किया था कि उन्होंने एक विपक्षी नेता के खिलाफ सफल खोज कार्रवाई के कारण अपना पद सुरक्षित कर लिया है.
शिकायत के दो महीने बाद उन्हें सरकार द्वारा एक साल का विस्तार दिया गया और बाद में उन्हें प्रमुख कर निकाय के प्रमुख के रूप में दो और विस्तार दिए गए.