जयंती विशेष: जब राजीव गांधी ने सोनिया से कहा था- चाहे जो भी हो मैं मारा ही जाऊँगा

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 20, 2018 07:23 AM2018-08-20T07:23:27+5:302018-08-20T07:23:27+5:30

Rajiv Gandhi Birth Anniversary: राजीव गांधी ने छोटे भाई संजय गांधी की 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में मौत के बाद राजनीति में कदम रखा था।

Rajiv Gandhi Jayanti know when rajiv told sonia gandhi that he will be killed either way | जयंती विशेष: जब राजीव गांधी ने सोनिया से कहा था- चाहे जो भी हो मैं मारा ही जाऊँगा

21 मई 1991 को तमिल आंतकवादी संगठन लिट्टे के आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी। (ग्राफिक्स- देवेंद्र सिंह)

राजीव गांधी का जन्म इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े बेटे के रूप में 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था।  उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई देहरादून के मशहूर दून स्कूल में हुई थी।

राजीव ने 1965 में ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के इम्पीरियल कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। लंदन में ही राजीव की इटली निवासी सोनिया से मुलाकात हुई। दोनों के बीच प्यार हो गया। 

भारत लौटने के बाद राजीव गांधी ने कमर्शियल पायलेट का लाइसेंस हासिल किया। 1968 में इंडियन एयरलाइंस के लिए पायलट के तौर पर काम करने लगे। 1968 में ही राजीव ने सोनिया से शादी की। 

राजीव के छोटे भाई संजय गांधी राजनीति में सक्रिय थे। संजय की 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई। संजय की मौत के बाद राजीव ने राजनीति में कदम रखा।

31 अक्टूबर 1984 को राजीव गांधी ने भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। दिसंबर 1984 में लोक सभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल किया। लेकिन 1989 के आखिर में हुए आम चुनाव में उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी।

1991 में हो रहे लोक सभा चुनाव के प्रचार के लिए राजीव गांधी तमिलनाडु के दौरे पर थे। 21 मई 1991 को मद्रास (अब चेन्नई) के श्रीपेरंबदुर में लिट्टे की आत्मघाती हमलावर धनु ने विस्फोटक भरी माला पहनाकर उनकी हत्या कर दी। 

जब राजीव गांधी ने सोनिया से कहा- कुछ भी हो मैं मारा ही जाऊँगा

राजीव गांधी के करीबी रहे पीसी अलेक्जेंडर ने अपनी किताब "माई डेज विथ इंदिरा गांधी" में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री की हत्या के बाद राजीव गांधी और सोनिया गांधी के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान  संंस्थान (एम्स) में हुए संवाद का जिक्र किया है।

इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख अंगरक्षकों ने प्रधानमंत्री निवास में गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या के वक़्त सोनिया गांधी घर पर ही मौजूद थीं। गोलियों से छलनी इंदिरा को कार से लेकर सोनिया एम्स पहुँची। इंदिरा को बचाया नहीं जा सका। 

राजीव गांधी अपने भाई संजय गांधी की जून 1980 में विमान दुर्घटना में मौत के बाद राजनीति में आये थे। जून 1981 में राजीव गांधी ने लोक सभा उप-चुनाव में जीत हासिल कर संसद पहुँचे थे। संजय गांधी को इंदिरा गांधी का उत्तराधिकारी माना जाता था लेकिन उनके निधन के बाद राजीव गांधी पर यह जिम्मेदारी आ गयी। लेकिन राजीव को इतनी जल्दी कांग्रेस और देश की कमान संभालनी पड़ जाएगी इसका किसी को अंदाजा नहीं था।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यह साफ था कि राजीव ही उनकी जगह लेंगे। सोनिया गांधी यह बात जानती थीं। पीसी अलेक्जेंडर के अनुसार इंदिरा की हत्या के बाद सोनिया गांधी पूरी तरह हदस गई थीं। एम्स के गलियारे में ही राजीव से उनकी इंदिरा गांधी की जगह प्रधानमंत्री बनने को लेकर बहस हो गई।

पीसी अलेक्जेंडर के अनुसार जब राजीव ने सोनिया को बताया कि कांग्रेस चाहती है कि वो इंदिरा की जगह प्रधानमंत्री बने तो सोनिया ने साफ शब्दों में कहा, "नहीं, वो तुम्हें भी मार डालेंगे।"

सोनिया की चिंता को पूरी तरह समझने के बावजूद राजीव ने उन्हें जवाब दिया, "मेरे पास दूसरा विकल्प नहीं है। चाहे जो भी हो मैं मारा ही जाऊँगा।"

31 अक्टूबर 1984 को ही राजीव गांधी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली। उसी साल के अंत में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लोक सभा चुनाव में बहुमत हासिल किया और राजीव दोबारा प्रधानमंत्री बने।

राजीव गांधी के शव की पहचान

राजीव गांधी सरकार ने 1987 में लिट्टे आंतकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भारतीय शांति सेना श्रीलंका भेजी थी। लिट्टे ने इसका बदला लेने के लिए राजीव की हत्या करवा दी।

लिट्टे की आत्मघाती हमलावर धनु ने धमाका करने से पहले राजीव गांधी के पैर छुए। धनु ने झुके-झुके ही अपनी कमर में लगा विस्फोटक का स्विच दबा दिया। 

धमाका इतना शक्तिशाली था कि उसमें राजीव गांधी के शरीर के परखच्चे उड़ गये थे।

राजीव गांधी के लोटो के जूतों और गुच्ची की घड़ से ही उनके शरीर के अवशेषों की पहचान हो पाई थी।

राजीव का सिर उनके सुरक्षा प्रभारी प्रदीप गुप्ता के पास ही पड़ा था। गुप्ता ने भी मौके पर ही दम तोड़ दिया था।

वक़्त रहते नहीं जागीं सुरक्षा एजेंसियां-

मौत से ठीक पहले राजीव गांधी का इंटरव्यू लेने वाली पत्रकार नीना गोपाल के अनुसार अप्रैल 1990 में ही लिट्टे ने राजीव गांधी की हत्या का फैसला कर लिया था।

अप्रैल 1990 में श्रीलंका के जाफना स्थित लिट्टे मुख्यालय और भारत स्थित तमिल आतंकवादियों के बीच एक बातचीत ट्रैप हुई थी। इस बातचीत में राजीव गांधी को "डम्प" करने की बात कही गयी थी।

लेकिन न तो श्रीलंकाई सुरक्षा एजेंसियाँ और न ही भारती इंटेलीजेंस ब्यूरो इस बातचीत से पैदा होने वाले खतरे की आशंका को भाँप पाया। 

भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के पूर्व अदिकारी बी रमन ने अपनी किताब "द कावब्वॉयज ऑफ आरएंडएडब्ल्यू" में बताया है कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान और लोक सभा में नेता विपक्ष रहने के दौरान भी लिट्टे के आतंकवादियों से खतरे के प्रति R&AW ने आगाह किया था। लेकिन हुआ वही जो नियति के मंजूर था।

21 मई 1991 की मनहूस तारीख को राजीव गांधी हमारे बीच नहीं रहे।

English summary :
Rajiv Gandhi Birth Anniversary Special. After Murder of Indira Gandhi Rajiv Gandhi told Sonia Gandhi that he will be killed whether he became Prime Minister of India or not.


Web Title: Rajiv Gandhi Jayanti know when rajiv told sonia gandhi that he will be killed either way

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