राजस्थानः मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सियासी चर्चाएं लेकिन सबको खुश करना आसान नहीं!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: September 24, 2019 06:33 PM2019-09-24T18:33:46+5:302019-09-24T18:34:03+5:30
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए कांग्रेस में पूर्व से प्रतीक्षारत वरिष्ठ विधायकों और नए जुड़े बीएसपी विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दे कर सबको खुश करना इतना आसान नहीं है, लेकिन सियासी संतुलन बनाने में एक्सपर्ट सीएम गहलोत यह फेरबदल भी कर लेंगे.
राजस्थान में मंत्रिमंडल के विस्तार की लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही है, तो विभिन्न समितियों के गठन को लेकर भी उत्सुकता बनी हुई है. दरअसल, बीएसपी विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने की प्रक्रिया चल रही थी, लिहाजा मंत्रिमंडल में फेरबदल अटका हुआ था. अब बीएसपी के सारे विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, तो मंत्रिमंडल के विस्तार की भी संभावनाएं प्रबल हो गई हैं.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए कांग्रेस में पूर्व से प्रतीक्षारत वरिष्ठ विधायकों और नए जुड़े बीएसपी विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दे कर सबको खुश करना इतना आसान नहीं है, लेकिन सियासी संतुलन बनाने में एक्सपर्ट सीएम गहलोत यह फेरबदल भी कर लेंगे.
अब क्योंकि कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत है, लिहाजा यदि कोई असंतुष्ट रहता भी है तो बगावत का उतना खतरा नहीं है. वैसे भी बीजेपी में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रदेश में सियासी मौजूदगी के रहते कर्नाटक की तरह राजस्थान में सत्ता परिवर्तन संभव नहीं है. बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे को आगे आने नहीं देगा और राजे किसी और को मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिलने नहीं देंगी.
उधर, सीएम अशोक गहलोत ने राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के माध्यम से प्रदेशभर में संचालित विकास कार्यक्रमों और योजनाओं के क्रियान्वयन एवं प्रगति की नियमित समीक्षा के लिए पांच राज्य स्तरीय समितियों के गठन को स्वीकृति दी है. पहले गठित कुल 12 समितियों की जगह अब केवल 5 राज्य स्तरीय समितियां गठित की जाएंगी.
ये राज्य स्तरीय समितियां राज्य निधि एवं केन्द्रीय सहायता अन्तर्गत योजनाओं, राज्य सरकार की बजट घोषणाओं, चुनाव घोषणा पत्र में वर्णित घोषणाओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों की प्रगति की समीक्षा करेंगी. इसके अलावा, इन समितियों द्वारा विभिन्न अन्तर्विभागीय समस्याओं और प्रकरणों तथा पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप के तहत संचालित परियोजनाओं की प्रगति पर भी विचार-विमर्श और समीक्षा की जाएगी.
प्रस्तावित राज्य स्तरीय समितियां कृषि, उद्यान, पशुपालन, गोपालन, सहकारिता एवं खाद्य तथा नागरिक आपूर्ति विभाग, जल संसाधन, ऊर्जा, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, सार्वजनिक निर्माण, वन, राजस्व, स्वायत्त शासन तथा शहरी विकास एवं आवासन विभाग, स्कूल शिक्षा (मिड-डे-मील सहित) महाविद्यालय शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार तथा कौशल एवं उद्यमिता विभाग, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी कार्यक्रम, जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण, उद्योग, एमएसएमई तथा खान एवं पेट्रोलियम विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, जनजाति क्षेत्रीय विकास तथा महिला एवं बाल विकास विभाग हैं