यहां कर्नाटक जैसी राजनीतिक में अभी लग सकता है वक्त, लेकिन कांग्रेस में एक व्यक्ति-एक पद का मुद्दा गर्माया?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 16, 2019 05:40 PM2019-07-16T17:40:37+5:302019-07-16T17:40:37+5:30

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी मंत्रिमंडल के अगले विस्तार का इंतजार कर रही है. यदि इस विस्तार के बाद सियासी संतुलन कायम नहीं हुआ तो बीजेपी की राजनीतिक राह आसान हो सकती है.

rajasthan political crisis may take time, karnataka political crisis, BJP, Congress | यहां कर्नाटक जैसी राजनीतिक में अभी लग सकता है वक्त, लेकिन कांग्रेस में एक व्यक्ति-एक पद का मुद्दा गर्माया?

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Highlightsकर्नाटक जैसी राजनीतिक तोड़फोड़ में अभी राजस्थान में वक्त लग सकता है. वजह यह है कि बीजेपी अभी इसके लिए तैयार नहीं है और आधी-अधूरी तैयारी के साथ जोड़तोड़ का सियासी दाव उल्टा भी पड़ सकता है. बीजेपी के सामने भी अभी कई सियासी प्रश्न हैं, एक तो तख्तापलट होने पर नेता कौन होगा और दूसरा- बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा?राजस्थान की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए उनका कहना था कि मुख्यमंत्री ने गृह विभाग अपने पास रख लिया और अब मॉनिटरिंग करने का समय नहीं मिल रहा.

कर्नाटक जैसी राजनीतिक तोड़फोड़ में अभी राजस्थान में वक्त लग सकता है. वजह यह है कि बीजेपी अभी इसके लिए तैयार नहीं है और आधी-अधूरी तैयारी के साथ जोड़तोड़ का सियासी दाव उल्टा भी पड़ सकता है. इस वक्त पूर्व मंत्री भंवरलाल शर्मा, पूर्व मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया, पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा जैसे करीब आधा दर्जन ऐसे वरिष्ठ नेता हैं, जिन्हें अशोक गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था. 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी मंत्रिमंडल के अगले विस्तार का इंतजार कर रही है. यदि इस विस्तार के बाद सियासी संतुलन कायम नहीं हुआ तो बीजेपी की राजनीतिक राह आसान हो सकती है.

इस संबंध में इसीलिए राजस्थान में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि कर्नाटक और बंगाल जैसी राजस्थान में न तो ऐसी कोई तैयारी है और न ही मंशा, वे अपनी पार्टी आराम से चलाएं, अगर वे आपस में लड़ मरेंगे तो उसका तो हमारे पास कोई इलाज नहीं है. 

बीजेपी के सामने भी अभी कई सियासी प्रश्न हैं, एक तो तख्तापलट होने पर नेता कौन होगा और दूसरा- बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा? उदयपुर में कटारिया ने पार्टी कार्यालय पर प्रेस से बातचीत में व्यंग्यबाण चलाते हुए कहा कि- बजट पेश करने के बाद पत्रकार वार्ता में सीएम अशोक गहलोत को आखिर यह कहने की क्यों जरूरत पड़ी कि सभी लोग मुझे मुख्यमंत्री के रूप में चाहते हैं? 

राजस्थान की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए उनका कहना था कि मुख्यमंत्री ने गृह विभाग अपने पास रख लिया और अब मॉनिटरिंग करने का समय नहीं मिल रहा. 

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के सवाल पर उनका कहना था कि प्रदेश स्तर पर चर्चा चल रही है, हालांकि प्रदेशाध्यक्ष नहीं होने से कोई काम नहीं रुक रहा, भाजपा में सभी लोग मिलकर काम करते हैं. बीच में भी हमारा कोई प्रदेशाध्यक्ष नहीं था, तब भी हमारा कोई काम नहीं रूका. 

उधर, प्रदेश के मंत्री टीकाराम जूली ने कांग्रेस के अलवर जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही, कांग्रेस में एक बार फिर- एक व्यक्ति, एक पद की सियासी चर्चा गर्मा गई है. 

उनका कहना है कि- एक व्यक्ति के पास एक ही पद होना चाहिए, इसलिए मंत्री पद होने के कारण जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. लेकिन, कितने नेता इस कदम से सहमत होंगे, कहना इसलिए मुश्किल है कि एक दर्जन से ज्यादा वरिष्ठ नेताओं के पास एकाधिक पद हैं.

खबर है कि पूर्व मंत्री, विधायक भंवरलाल शर्मा का कहना है कि पार्टी नेता राहुल गांधी का अनुसरण करें और जिन नेताओं के पास एक से अधिक पद हैं वे इस्तीफा दें. वे चाहें तो संगठन का पद छोड़ें या फिर मंत्री का पद छोड़ें. लेकिन, जिन्हें पद नहीं छोड़ना है, उनके पास उनके अपने तर्क हैं. 

बहरहाल, जहां कांग्रेस के नेता मंत्रिमंडल के विस्तार का इंतजार कर रहे हैं, वहीं बीजेपी पहले तो अपना सियासी घर व्यवस्थित करेगी और उसके बाद ही कर्नाटक जैसा बड़ा सियासी कदम उठाएगी.

Web Title: rajasthan political crisis may take time, karnataka political crisis, BJP, Congress

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