राजस्थानः कटारिया बने नेता प्रतिपक्ष, दक्षिण के रास्ते से सुधरेगी भाजपा की सियासी तस्वीर?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 13, 2019 03:57 PM2019-01-13T15:57:14+5:302019-01-13T15:57:14+5:30
विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान उदयपुर संभाग में भाजपा ने करीब ढाई दर्जन सीटों में से ज्यादातर सीटें जीत ली थी, लेकिन इस बार 2018 में उसकी करीब आधी, पन्द्रह सीटें ही बचीं हैं. उधर कांग्रेस के पास भी पहले एक ही सीट थी, जबकि इस बार दस सीटें मिलीं हैं.
राजस्थान के पूर्व गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया को भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष बनाया है. विधायक दल की बैठक में उनके नाम की घोषणा की गई. इस मौके पर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी मौजूद थीं.
सबसे पहले सुधर सकती है उदयपुर संभाग की राजनीतिक गणित, 23 दिसंबर 2018 की रिपोर्ट में यह बताया गया था कि राजस्थान विस चुनाव में भाजपा की बिगड़ी तस्वीर को सबसे पहले दक्षिण राजस्थान से सुधारा जा सकता है, क्योंकि राजस्थान में चुनाव के बाद उदयपुर संभाग ऐसा क्षेत्र है जहां न तो कांग्रेस को उम्मीद के अनुसार कामयाबी मिली और न ही आशंका के अनुरूप भाजपा नाकामयाब रही, लिहाजा यह ऐसा संभाग है जहां लोकसभा चुनाव आने तक राजनीतिक गणित को आसानी से सुधारा जा सकता है.
दरअसल, बीसवीं सदी में कांग्रेस का गढ़ रहा- दक्षिण राजस्थान, अब भाजपा का नहीं, संघ का गढ़ बन चुका है. यहां भाजपा के पैर जमाने में संघ विचारधारा की समर्थक स्कूलों का बहुत बड़ा योगदान है.
विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान उदयपुर संभाग में भाजपा ने करीब ढाई दर्जन सीटों में से ज्यादातर सीटें जीत ली थी, लेकिन इस बार 2018 में उसकी करीब आधी, पन्द्रह सीटें ही बचीं हैं. उधर कांग्रेस के पास भी पहले एक ही सीट थी, जबकि इस बार दस सीटें मिलीं हैं.
इस क्षेत्र में भाजपा की हार के बड़े कारण- अपनों का ही विरोध, बागी उम्मीदवारों की मौजूदगी आदि रहे हैं तो बीटीपी, जनता सेना आदि की प्रभावी उपस्थिति ने भी नतीजों पर असर डाला है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा, बागी और रूठे हुए भाजपाइयों को मनाने में कामयाब रहती है तो लोकसभा चुनाव में उसकी जीत की गणित सुधर सकती है.
उदयपुर में जहां अपनों के विरोध के कारण पूर्व गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया की जीत आसान नहीं थी, लेकिन संघ की मेहनत के कारण विषम सियासी परिस्थिति में भी कटारिया आठवीं बार विस चुनाव जीत गए. दक्षिण राजस्थान में भाजपा के विस्तार में कटारिया का सर्वाधिक योगदान रहा है और वे इस क्षेत्र के तमाम बड़े गांव, कस्बों के भाजपा कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क में रहे हैं. इसलिए बतौर नेता प्रतिपक्ष वे इस क्षेत्र की आधा दर्जन के करीब लोस सीटें जीतने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
सियासी संकेत यही हैं कि- दक्षिण राजस्थान से भाजपा ने लोस चुनाव की तैयारी प्रारंभ कर दी है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को केन्द्रीय भाजपा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद-सम्मान देकर राजस्थान की राजनीति से दूर करने के प्रयास भी प्रारंभ हो गए हैं तो किसी युवा चेहरे को नया भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. यही नहीं, अगले विस चुनाव में भाजपा नए सीएम चेहरे के साथ मैदान में होगी. देखना दिलचस्प होगा कि गुलाबचन्द कटारिया अपनी इस नई भूमिका में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को कितना लाभ दिला पाते हैं?