राजस्थान सहित तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस, महागठबंधन में सबसे आगे आ कर खड़ी जरूर हो गई है, लेकिन क्या इन राज्यों में शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही गैर भाजपाई एकता की प्रभावी भूमिका लिखी जा सकेगी? क्या बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार राहुल गांधी को महागठबंधन स्वीकार करेगा?
इन सवालों के जवाब हां भी हैं और नहीं भी!हां, इसलिए कि यह साफ हो चुका है कि यदि गैर भाजपाई एक हो कर भाजपा को सीधी टक्कर देते हैं तो भाजपा को हराया जा सकता है। हां, इसलिए कि अकेले राहुल गांधी ने इन चुनावों में पीएम नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित एक दर्जन केन्द्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को मात दे दी। हां, इसलिए भी कि कांग्रेस के अलावा कोई अन्य गैर भाजपाई दल लोकसभा चुनाव में पचास सीटों के पार नहीं जा सकता है, ऐसी स्थिति में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व को कैसे नकारा जा सकेगा?
नहीं, इसलिए कि मायावती, ममता बनर्जी जैसे नेताओं को पता है कि इस बार यदि पीएम पद हाथ से निकल गया तो फिर मौका नहीं मिलेगा। मायावती ने तो बकायदा यूपी के बाहर अपनी ताकत प्रदर्शित करने के प्रयास भी किए थे, लेकिन अपेक्षित कामयाबी नहीं मिली।
नहीं, इसलिए भी कि यूपी, कांग्रेस के लिए सबसे कमजोर कड़ी है, यदि यहां सपा-बसपा, कांग्रेस का साथ नहीं देंगे तो कांग्रेस की लोस सीटों की गणित गड़बड़ा जाएगी।
इन तीन राज्यों में जीत से पहले महागठबंधन के नेतृत्व और प्रधानमंत्री के पद के लिए मतैक्य नहीं था, खासकर राहुल गांधी के नेतृत्व को क्षेत्रीय नेता स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। यही वजह है कि मायावती, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव आदि नेता महागठबंधन को विशेष महत्व नहीं दे रहे थे, लेकिन अब यह साफ हो गया है कि कांग्रेस उतनी कमजोर भी नहीं रही, जितनी ये नेता मान रहे थे।
अब कांग्रेस की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव तक इस जीत का उपयोग कांग्रेस की ताकत बढ़ाने और महागठबंधन की एकता कायम करने में किया जाए।
उल्लेखनीय है कि जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल में 17 दिसंबर 2018 की सुबह राजस्थान सरकार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम होगा, जिसमें कांग्रेस के दिग्गज तो शामिल होंगे ही, गैर कांग्रेसी प्रमुख नेता भी मौजूद रहेंगे। कांग्रेस की ओर से शपथ ग्रहण समारोह में जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे आदि शामिल होंगे, वहीं पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा, केन्द्रीय मंत्री शरद यादव, जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, डीएमके के एमके स्टालिन और कनिमोझी, आरजेडी नेता और लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव, झारखंड के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी सहित दो दर्जन प्रमुख नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है।
इस शपथ ग्रहण समारोह में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, और सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इन शपथ ग्रहण समारोह में जिस तरह से प्रमुख गैर भाजपाई नेताओं को आमंत्रित किया गया है, यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से कितने गैर भाजपाई नेता मौजूद रहते हैं? और, इसमें वास्तविक विपक्षी एकता की झलक मिलती है या केवल सजावटी एकता नजर आती है!