राजस्थान में आरक्षित सीटों पर BJP को इतनी सीटों का नुकसान, इस वजह से भुगतना पड़ा खामियाजा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 15, 2018 05:14 AM2018-12-15T05:14:09+5:302018-12-15T05:14:09+5:30
2018 के चुनाव परिणामों में भाजपा ने अनुसूचित जाति श्रेणी में 12 सीटें और अनुसूचित जन जाति श्रेणी में नौ सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस ने अनूसूचित जाति की श्रेणी में 19 सीटें और अनुसूचित जनजाति श्रेणी में 12 सीटों पर दर्ज हांसिल की है.
राजस्थान में सात दिसंबर को हुए मतदान में भाजपा को सत्ता विरोधी लहर और एससी/एसटी अधिनियम प्रावधानों में किए गए बदलाव के विरोध के चलते 29 सीटों का नुकसान हुआ है. निर्वाचन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 59 विधानसभा सीटों में से 50 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को ऐसी केवल 21 सीटों पर जीत मिली है.
2018 के चुनाव परिणामों में भाजपा ने अनुसूचित जाति श्रेणी में 12 सीटें और अनुसूचित जन जाति श्रेणी में नौ सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस ने अनूसूचित जाति की श्रेणी में 19 सीटें और अनुसूचित जनजाति श्रेणी में 12 सीटों पर दर्ज हांसिल की है.
भाजपा विरोधी हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोक तांत्रिक पार्टी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित दो सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं एक सीट निर्दलीय के खाते में गई है. दो अनुसूचित जनजाति सीटों पर निर्दलीयों ने और दो सीटों पर भारतीय ट्राइबल पार्टी ने चुनाव जीता है.
राजनीतिक पर्यवक्षकों ने एससी/एसटी अधिनियम प्रावधानों में किए गए बदलाव के विरोध में दो अप्रैल को ह्यभारत बंद और सत्ता विरोधी तत्वों के कारण भाजपा को हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
अधिकतर सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की
राज्य में एससी/एसटी अधिनियम प्रावधानों में किए गए बदलाव के विरोध में दलित समूहों ने रेल/सड़क यातायात को जाम करने के साथ-साथ संपत्ति का नुकसान किया था. इसके कुछ दिन बाद राज्य के कई हिस्सों में सवर्ण समाज के लोगों ने शांतिपूर्वक बंद का आयोजन किया था.
कांग्रेस ने राज्य के पूर्वी जिलों में अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर दर्ज की है. इस चुनाव में भाजपा ने अलवर, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, और टोंक जिले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई.