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राजस्‍थान चुनावः बीजेपी ने आखिरी लम्हें में बदली योजना, सचिन पायलट को धराशायी करने के लिए छोड़ा ब्रह्मास्‍त्र

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 22, 2018 18:40 IST

कांग्रेस ने जैसे ही टोंक से पायलट को उतारने की घोषणा की, भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अजित सिंह मेहता की जगह इस उम्मीदवार को उतार दिया.

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विधानसभा चुनाव में सबसे चर्चित सीट बनी टोंक में रेलवे लाइन की लड़ाई बड़ी है. टोंक को रेल संपर्क से जोड़ने की स्थानीय लोगों की वर्षो पुरानी मांग है. कांग्रेस ने अपने प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को तो भाजपा ने मौजूदा मंत्री एवं विधायक यूनुस खान को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया है और दोनों ही टोंक के लिए बाहरी हैं. 

दरसअल, कांग्रेस ने जैसे ही टोंक से पायलट को उतारने की घोषणा की, भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अजित सिंह मेहता की जगह यूनुस खान को उतार दिया. इसे झालरापाटन में कांग्रेस के उस मास्टरस्ट्रोक का बदला माना जा रहा है जो उसने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ भाजपा के ही वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह को उतारकर चला.

राष्ट्रीय राजमार्ग-12 पर स्थित टोंक जिले की सीमा जयपुर, अजमेर, सवाई माधोपुर व भीलवाड़ा से लगती है लेकिन यह रेल सेवा से वंचित है. लोग लंबे समय से इसे रेल लाइन से जोड़ने की मांग कर रहे हैं, ताकि न केवल लोगों को बेहतर संपर्क मिले, बल्कि यहां आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिले. रेल लाओ संघर्ष समिति दलित सेना के अध्यक्ष अकबर खान ने कहा कि टोंक के लोग दो दशक से रेल लाइन की मांग कर रहे हैं और हर राजनीतिक दल ने केवल वादा किया, कुछ काम नहीं.

पायलट ने कहा, ‘‘टोंक में रेल लाइन बड़ा मुद्दा है और मैंने लोगों को आश्वस्त किया है कि कांग्रेस सरकार इसे पूरी गंभीरता से लेगी. जब मैं अजमेर से सांसद बना तो किशनगढ़ हवाईअड्डा शुरू हुआ और अजमेर के लिए अनेक नई ट्रेन शुरू हुईं. कांग्रेस ने इस बार टोंक से मुस्लिम की जगह हिंदू प्रत्याशी को उतारा है. एक अनुमान के अनुसार कुल 2.20 लाख मतदाताओं में से 70,000 मुस्लिम मतदाता हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी जकिया की जमानत जब्त हो गई थी और वह तीसरे स्थान पर रही थीं. 

‘सेवक’ और ‘स्वामी’ की लड़ाई

 दो बार विधायक रहे यूनुस खान को वसुंधरा राजे की मौजूदा सरकार के सबसे कद्दावर मंत्रियों में से माना जाता है. यूनुस खान ने कहा, ‘‘ टोंक में ‘सेवक’ और ‘स्वामी’ की लड़ाई है. यहां उन्होंने खुद को ‘भाजपा का सेवक’ तथा पायलट को ‘राजस्थान कांग्रेस का स्वामी’ बताया. 

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