राजस्थान: बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर दाव में भाजपा-कांग्रेस दोनों की ही प्रतिष्ठा
By धीरेंद्र जैन | Published: April 27, 2019 07:18 AM2019-04-27T07:18:35+5:302019-04-27T07:18:35+5:30
भाजपा से बगावत कर चुनावी मैदान में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मानवेन्द्र सिंह चुनाव मैदान में हैं। इस चुनाव को शुरू से ही वसुंधरा राजे और मानवेन्द्र सिंह की टक्कर के रूप में देखा जा रहा है।
पश्चिमी राजस्थान की सीमा पर कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है। इसी कारण से बाड़मेर और जैसलमेर लोकसभा सीट देशभर में सुर्खियां बटोर रही है। लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत के लिये हो रहे घमासान में यूं तो प्रदेश भर में 25 सीटें हैं, लेकिन हॉट सीट मानी जाने वाली इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं शीतलकंवर जसौल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार भाजपा से बगावत कर चुनावी मैदान में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मानवेन्द्र सिंह चुनाव मैदान में हैं। वहीं वसुंधरा राजे से उनकी स्वाभिमानी लड़ाई में राजे का पलड़ा भारी होता नजर आ रहा है। इस चुनाव को शुरू से ही वसुंधरा राजे और मानवेन्द्र सिंह की टक्कर के रूप में देखा जा रहा है।
इसी प्रकार सामान्य वर्ग के लिये आरक्षित टोंक-सवाई माधोपुर सीट से भाजपा व कांगे्रस दोनों ही राजनैतिक दलों द्वारा एसटी व ओबीसी वर्ग के प्रत्याशी पर जातिगत आधार पर चुनावी वैतरणी पार करने में लगे हुये हैं। भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी सुखबीर सिंह जौनापुरिया के समर्थन में मालपुरा, टोडारायसिंह विधानसभा क्षेत्र में किसी बड़े व प्रभावशाली नेता की जनसभा नहीं होने से भाजपा चुनाव प्रचार में पिछड़ती नजर आ रही है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी नमोनारायण मीणा के समर्थन में विशाल जनसभा में उमड़े जनसैलाब पर प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष सचिन पायलट ने गहरी छाप छोड़ी है।
इसके अलावा भीलवाड़ा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी रामपाल शर्मा के समर्थन में अब तक तीन बार भीलवाड़ा आ चुके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिये यह सीट भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है। 10 दिन में तीन बार कारोई, शाहपुरा और मांडल में जनसभाएं आयोजित करके मतदाताओं को लुभाने के लिये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐडी से चोटी तक का जोर लगा डाला है।
मुख्यमंत्री की 3 सभाएं आयोजित हो जाने के बाद अगर रामपाल शिकस्त खा जाते हैं तो इसका सीधा असर मुख्यमंत्री की कार्यशैली और उनके व्यक्तित्व पर पड़ेगा। श्री गहलोत ने भाजपा के इस गढ़ में अपनी ताकत का इस्तेमाल करके शर्मा को चुनाव जिताने की भरसक कोशिश की है।