राजस्थान चुनावः PM मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियों के मामले में राहुल को पीछे छोड़ा, लेकिन कांग्रेस ने पकड़ी नब्ज
By रामदीप मिश्रा | Published: December 6, 2018 01:51 PM2018-12-06T13:51:19+5:302018-12-06T13:51:19+5:30
पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर चुनावी अखाड़े में राहुल गांधी से तीन कदम आगे निकल गए। दोनों नेताओं ने 15 नवंबर से 5 दिसंबर तक ये रैलियां की हैं, जिसमें उन्होंने अधिक से अधिस सीटों तक पहुंचने की कोशिश की है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार बुधवार (5 दिसंबर) शाम को समाप्त हो गया। इस दौरान सूबे की दोनों दिग्गज पार्टियों भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस ने जमकर चुनाव प्रचार किया। दोनों ही पार्टियों के राष्ट्रीय नेताओं ने चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाल रखा था। बीजेपी की ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ताबड़तोड़ 12 रैलियां कीं, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नौ जनसंभाओं को संबोधित किया है।
पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर चुनावी अखाड़े में राहुल गांधी से तीन कदम आगे निकल गए। दोनों नेताओं ने 15 नवंबर से 5 दिसंबर तक ये रैलियां की हैं, जिसमें उन्होंने अधिक से अधिस सीटों तक पहुंचने की कोशिश की है। हालांकि चुनावी अभियान में राहुल के मुकाबले पीएम मोदी भारी पड़ते हुए दिखाई दिए। हैं।
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, पीएम मोदी ने अपनी 12 सभाओं में करीब 100 सीटों तक पहुंचने की कोशिश की है, जबकि राहुल गांधी ने अपनी नौ सभाओं में 30 सीटों को करव करने की कोशिश की है। हालांकि अन्य नेताओं ने जमकर चुनाव प्रचार किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी ने 15 नवंबर से 5 दिसंबर तक 233 जनसभाएं की हैं। इनका प्रतिनिधित्व पार्टी के 15 स्टार प्रचारकों ने किया। सबसे ज्यादा सभाएं सूबे की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने की हैं। उन्होंने 75 रैलियां कीं, जबकि प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने 40 सभाएं की। वहीं, योगी आदित्य ने 23 सभाओं को संवोधित किया।
इधर, कांग्रेस ने चुनावी अखाड़े में बीजेपी की तुलना में ज्यादा पसीना बहाना है। उसने 15 स्टार प्रचारकों की टीम के जरिए 433 सभाएं की हैं, जोकि बीजेपी की 200 सभाएं ज्यादा हैं और मतदाताओं तक पहुंचने का भरसक प्रयास किया है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने खुद 230 सभाएं की हैं और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 100 सभाओं को संबोधित किया है।
दोनों ही पार्टियों की किश्मत सात दिसबंर को ईवीएम में बंद हो जाएगी और 11 दिसंबर को राजस्थान की सत्ता की कुर्सी पर कौन काबिज होगा यह तय हो जाएगा।