झूठी नहीं थी पीएम मोदी की नाले की गैस से चाय बनाने की कहानी, ये है वो शख्स जिसकी PM ने की थी तारीफ
By खबरीलाल जनार्दन | Published: August 14, 2018 08:40 AM2018-08-14T08:40:37+5:302018-08-14T10:00:08+5:30
Biofuels to Boost Farm Income: शिर्के ने प्लास्टिक के तीन ड्रमों को आपस में जोड़कर उसमें एक वाल्व लगा दिया है।
रायपुर, 14 अगस्तः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए अपने इंटरव्यू में नाले के गैस से चाय बनाने का उदाहरण दिया था। इसके बाद से लगातार उनके इस बयान पर चर्चा हो रही थी। अब वह शख्स सामने आया है, जिसके बारे में पीएम ने यह उदाहरण दिया था। यह शख्स छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का रहने वाला है। इनका नाम श्याम राव शिर्के है। इन्होंने एक ऐसा यंत्र बनाया है जो नालियों और नालों से निकलने वाली मिथेन गैस को खाना बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते हैं। पीएम मोदी ने मिथेन गैस के इतने शानदार उपयोग के लि इनकी जमकर तारीफ की थी।
श्याम राव शिर्के ने अपने इस प्रोजेक्ट को अब ग्लोबल पेटेंट करा लिया है। वह प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहे हैं। शुरुआत में उन्होंने रायपुर के ही कुछ और नालों और नालियों में इसे जल्द ही बिठाया जाएगा। असल में यह एक तरह की मशीन है, लेकिन वैसी नहीं, जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां बनाती हैं, यह पूरी तरह से देशी है-
इंडिया टुडे ने इस मशीन के बारे में लिखा है कि शिर्के ने प्लास्टिक के तीन ड्रमों को आपस में जोड़कर उसमें एक वाल्व लगा दिया है। इसके बाद इन ड्रमों को नाले के उस जगह पर रखते हैं जहां नाले का सबसे ज्यादा बदबूदार पानी गुजरता है। इसके बाद इसमें एक पाइप लगा दी जाती है। ताकि जब ड्रम में गैस इकट्ठा हो तो इसका दवाब इतना जाए कि वह पाइप के जरिए रसोइघर तक पहुंच जाए।
जानकारी के मुताबिक बीते करीब चार महीने से शिर्के एक दर्जन से ज्यादा लोगों को इसी गैस पर पका लोगों को नाश्ता कराता था। गैस का प्रवाह इसमें इस आधार होता कि नाला कितना चौड़ा है और यहां पर कितनी गैस बन रही हैं।
इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि शिर्के कोई इंजीनियर नहीं हैं। वह एक मैकेनिकल कॉन्ट्रैक्टरशिप पर चलती है। लेकिन कुछ समय पहले आए हार्ट अटैक की वजह से अब वे फूर्तिलेपन के साथ काम नहीं कर पाते। पर घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते वे लगातार काम में लगते रहते। इसी आर्थिक तंगी ने उन्हें कुछ ऐसा करने को प्रेरित किया, जो उनकी मदद कर सके। लेकिन अब जब पीएम ने उनकी तारीफ कर दी है तो उनमें नया उत्साह है।
असल में यह उनकी एक दिन की मेहनत नहीं बल्कि बीते चार सालों की अथक मेहनत का नतीजा है। उन्होंने करीब चार साल पहले भी अपनी की तरकीब को पेटेंट कराने की कोशिश की थी। लेकिन तब उनकी किसी ने नहीं सुनी थी। लेकिन छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी अब उनके फार्मूले पर काम कर रहा है।