राहुल गांधी ने मसूद अजहर पर चीन के अड़ंगे के बाद कहा- 'कमजोर मोदी शी जिनपिंग से डरते हैं'
By विनीत कुमार | Published: March 14, 2019 10:35 AM2019-03-14T10:35:41+5:302019-03-14T10:37:16+5:30
राहुल गांधी से पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी निशाना साधते हुए कहा कि इससे 'विफल मोदी सरकार की विफल विदेश नीति' उजागर हुई है।
संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर पर चीन के अड़ंगे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने कहा है कि कमजोर मोदी शी जिनपिंग से डरे हुए हैं। चीन जब भी भारत के खिलाफ कुछ करता है उनके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकलता। राहुल ने पीएम मोदी की चीन के साथ कूटनीति पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, 'पीएम गुजरात में जिनपिंग के साथ झूला झूलते हैं, दिल्ली में गले लगाते हैं और चीन में उनके आगे झुकते हैं।'
राहुल ने पीएम मोदी पर ये तंज मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की कोशिशों पर लगे झटके के बाद कसा है। पुलवामा सहित भारत में कई आतंकी हमलों के जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद के सरगना को वैश्विक आंतकी घोषित करने के लिए यूएन में फ्रांस और अमेरिका की ओर से प्रस्ताव लाया गया था पर चीन ने बुधवार को इसे पर वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए निरस्त कर दिया।
राहुल से पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी निशाना साधते हुए कहा कि इससे 'विफल मोदी सरकार की विफल विदेश नीति' उजागर हुई है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'आज फिर आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई को चीन-पाकिस्तान गठजोड़ ने आघात पहुंचाया है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में यह एक दुखद दिन है। 56 इंच वाली गले लगने की कूटनीति (हगप्लोमेसी) और झूला-झुलाने के खेल के बाद भी चीन-पाकिस्तान का जोड़ भारत को ‘लाल-आंख’ दिखा रहा है। एक बार फिर एक विफल मोदी सरकार की विफल विदेश नीति उजागर हुई।'
A sad day in the global fight against terrorism!
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 13, 2019
China blocking Masood Azhar's designation as global terrorist reaffirms Chinese position of being an inseparable ally of terrorism’s breeding ground-Pakistan
Sadly,Modiji's Foreign Policy has been a series of Diplomatic Disasters https://t.co/9m08uhjowj
गौरतलब है कि चीन के अड़ंगा लगाने से अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का मामला एक बार फिर कम से कम 6 महीने के लिए ठंडे बस्ते में चला गया। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन यह 'तकनीकी रोक' छह महीने के लिए वैध है और इसे आगे तीन महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है।