'भारत छोड़ो आंदोलन' के 80 साल, जानिए कैसे महात्मा गांधी के 'करो या मरो' नारे ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर किया मजबूर

By मेघना सचदेवा | Published: August 9, 2022 12:25 PM2022-08-09T12:25:22+5:302022-08-09T12:25:22+5:30

1942 में भारत में अंग्रेजों के खिलाफ सबसे बड़े अहिंसक आंदोलन की शुरुआत हुई जिसने ब्रिटिश हुकूमत को हिला कर रख दिया। इस आंदोलन का साफ संदेश था अंग्रेजों भारत छोड़ो।

Quit India movement played an important role in independence,Why Mahatma Gandhi Said 'Do or Die' | 'भारत छोड़ो आंदोलन' के 80 साल, जानिए कैसे महात्मा गांधी के 'करो या मरो' नारे ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर किया मजबूर

'भारत छोड़ो आंदोलन' के 80 साल, जानिए कैसे महात्मा गांधी के 'करो या मरो' नारे ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर किया मजबूर

Highlightsभारत छोड़ो आंदोलन के पीछे की सबसे बड़ी वजह थी 1942 का ही क्रिप्स मिशन। 8 अगस्त 1942 में महात्मा गाधी ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में लोगों को संबोधित किया।9 अगस्त को महात्मा गांधी समेत कई नेताओं को जेल भेज दिया गया। इस आंदोलन के 5वें महीने इसे बुरी तरह से कुचल दिया गया।

आज से 80 साल पहले देश की आजादी के लिए सबसे बड़े अहिंसक आंदोलन का आगाज हुआ। इसमें कोई दे राय नहीं कि स्वतंत्रता संग्राम के लिए भारतीयों का संघर्ष कई वर्षों तक चला लेकिन साल 1942 में पूरे देश से एक सुर में स्पष्ट संदेश यही निकला कि अंग्रेजों भारत छोड़ो।  इस आंदोलन का संदेश बिल्कुल साफ था कि अब भारत में अंग्रेजों के राज का अंत नजदीक है। 

9 अगस्त 1942 को हुआ आंदोलन का आगाज 

8 अगस्त को महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को 'भारत छोड़ने' के लिए कह दिया था। महात्मा गांधी कई और स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जेल में बंद थे इसलिए 9 अगस्त को देशवासियों ने आजादी की इस लड़ाई में खुद ही मोर्चा संभाल लिया। सड़कों पर निकली भीड़ और आजादी के लिए अंदोलन को अंग्रेजों ने बुरी तरह कुचल दिया लेकिन वो इस बात से इनकार नहीं कर सकते थे कि अब भारतीय पीछे नहीं हटेंगें। 

क्रिप्स मिशन की असफलता बनी अहम वजह 

भारत छोड़ो आंदोलन के पीछे की सबसे बड़ी वजह थी 1942 का ही क्रिप्स मिशन। जैसे जैसे दूसरे विश्व युद्ध के हालात बन रहे थे, वैसे-वैसे ही परेशान ब्रिटिश हुकूमत को भारतीयों के सहयोग की जरूरत भी महसूस होने लगी थी। इसी को ध्यान में रखते हुए मार्च 1942 में स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स ने एक विशेष योजना बनायी जिसे क्रिप्स मिशन नाम दिया गया।

स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स भारत में कांग्रेस नताओं और मुस्लिम लीग से मुलाकात करने पंहुचे थे। मिशन का मकसद था कि भारतीयों को स्वशासन दिया जाए और बदले में उनका सहयोग लिया जाए। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और क्रिप्स मिशन के अंतर्गत ब्रिटिश सरकार ने भारत को डोमिनियन का अधिकार दिया। भारत को आजादी नहीं मिली और तो और अब भारत के बंटवारे का भी प्रस्ताव रखा गया जो कि कांग्रेस को नामंजूर था। 

क्रिप्स मिशन की असफलता ने महात्मा गांधी को इस बात का अहसास करा दिया कि अब देश की आजादी के लिए भारतीयों को जी जान एक कर लड़ना होगा। शुरुआत में इस तरह के आंदोलन से गुरेज किया जा रहा था पर आखिर में 'करो या मरो' के नारे के साथ देशवासियों ने अंग्रेजों का सामना करने की ठानी। जुलाई 1942 में वर्किंग कमेटी की बैठक में ये तय हुआ कि अब इस आंदोलन को धार दी जाए। 

महात्मा गांधी ने दिया 'करो या मरो' का मंत्र

8 अगस्त 1942 में महात्मा गाधी ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में लोगों को संबोधित किया। उन्होंने ये मंत्र दिया कि 'करो या मरो'। देश को आजाद कराओ या कोशिश करते करते जान दे दो। किसी भी स्थिति में गुलामी की बेड़ियों से लड़ने के इस मंत्र ने लोगों में जोश भर दिया। तिरंगा फहराया गया और आधिकारिक तौर पर उस दिन भारत छोड़ो आंदोलन का ऐलान कर दिया गया। 

महात्मां गांधी समेत कई नेताओं को जेल
9 अगस्त को महात्मा गांधी समेत कई नेताओं को जेल भेज दिया गया। उन्हें पहले पुणे के अगा खान पैलेस ले जाया गया। उसके बाद उन्हें यरवडा जेल ले जाया गया। इसी वक्त अगा खान पैलेस में कस्तूरबा गांधी की मृत्यु हो गई। 

महात्मां गांधी समेत कई नेताओं का जेल जाना भी अब लोगों को रोकने के लिए काफी नहीं था। भारतवासी अब देश के लिए जान देने को भी तैयार थे। ये लड़ाई अब अंग्रेजी हुकूमत और आम जनता के बीच थी। लोगों ने अब इस आंदोलन को अपने हाथ में ले लिया था। मुंबई,पुणे,अहमदाबाद सब जगहों पर भीड़ सड़को पर थी। 10 अगस्त तक इस आंदोलन की आग दिल्ली,यूपी,बिहार भी पंहुच गई थी।

धरना प्रदर्शन से लेकर हड़ताल और सड़कों पर मार्च,शहर-शहर बस आजादी के लिए यही नजर आ रहा था। धीरे-धीरे छोटे शहर गांव कस्बों तक भी इस आंदोलन की गूंज सुनाई देने लगी। सितंबर तक कई सरकारी कार्यालयों को लोगों ने निशाना बनाया। कई जगहों पर काम ठप्प पड़ गया। रेलवे लाइनों को ब्लॉक किया गया।  किताबों और लेख लोगों में बांटे गए जो कि अंग्रेजी हुकूमत ने बैन किए थे। कई जगहों पर आगजनी भी हुई। इस आंदोलन ने ब्रिटिश राज को हिला कर रख दिया था। 

आंदोलन ने दी अंग्रेजों को भारत छोड़ने की चेतावनी

इस आंदोलन के 5वें महीने इसे बुरी तरह से कुचल दिया गया। 60 हजार से भी ज्यादा लोगों को जेल में डाल दिया गया। यहां तक कि अंग्रेजों ने लाठीचार्ज भी किया। हालांकि लोगों के जोश और जज्बे के आगे उन्हें हार माननी पड़ी। आंदोलन भले ही खत्म हुआ पर अंग्रेजों को इस बात का अहसास हो गया था कि आजादी के लिए लड़ने वाले इन लोगों को संभालना अब मुश्किल है। आखिकार अंग्रेजों को 1947 में भारत छोड़ना ही पड़ा। 

Web Title: Quit India movement played an important role in independence,Why Mahatma Gandhi Said 'Do or Die'

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