Purnia Lok Sabha Seat: पूर्णिया में 'जंग', अड़े पप्पू यादव, 2 अप्रैल को नामांकन, कांग्रेस दिखा सकती है बाहर का रास्ता

By एस पी सिन्हा | Published: March 30, 2024 05:14 PM2024-03-30T17:14:25+5:302024-03-30T17:15:08+5:30

Purnia Lok Sabha Seat: कांग्रेस की ओर से टिकट मिलता है तो पूर्णिया सीट पर राजद और कांग्रेस का यह दोस्ताना संघर्ष होगा। 

Purnia Lok Sabha Seat lalu yadav vs pappu yadav 'War' Pappu Yadav adamant nomination on April 2 Congress can show way out | Purnia Lok Sabha Seat: पूर्णिया में 'जंग', अड़े पप्पू यादव, 2 अप्रैल को नामांकन, कांग्रेस दिखा सकती है बाहर का रास्ता

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Highlightsबतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे या फिर कांग्रेस के टिकट पर।सीट राजद के कोटे में चली गई है, हम कुछ नहीं कर सकते है।कोई दो मत नहीं है कि पप्पू के सीमांचल इलाके में अच्छी पैठ है।

Purnia Lok Sabha Seat: बिहार में पूर्णिया सीट को लेकर महागठबंधन में घमासान मचा है। कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने यह ऐलान कर दिया है कि 2 अप्रैल को वह अपना नामांकन दाखिल करेंगे। पार्टी कार्यालय के द्वारा इसकी अधिकारिक जानकारी भी दी गई है। राजद की ओर से उस सीट पर पहले ही बीमा भारती को प्रत्याशी बनाया जा चुका है। ऐसे में हाल ही में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने वाले पूर्व सांसद पप्पू यादव के द्वारा पूर्णिया से चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा किए जाने सी महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस बीच चर्चा यह है कि अगर पप्पू यादव नामांकन दाखिल करते हैं तो पार्टी उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है। हालांकि पप्पू यादव को लेकर अब तक यह साफ नहीं हुआ है कि वे बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे या फिर कांग्रेस के टिकट पर।

अगर उन्हें कांग्रेस की ओर से टिकट मिलता है तो पूर्णिया सीट पर राजद और कांग्रेस का यह दोस्ताना संघर्ष होगा। ऐसे में महागठबंधन में टकराव के स्थिति उत्पन्न हो सकती है। वैसे बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह पहले ही कह चुके हैं कि ये सीट राजद के कोटे में चली गई है, हम कुछ नहीं कर सकते है।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि पप्पू के सीमांचल इलाके में अच्छी पैठ है। पिछले एक वर्ष से वे पूर्णिया में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। 'प्रणाम पूर्णिया' अभियान के तहत वो गांव-गांव तक पहुंचे। कांग्रेस में अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय करने के बाद पप्पू यादव पूर्णिया को अपनी प्रतिष्ठा की सीट मान चुके हैं और इसे किसी भी कीमत पर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

पप्पू यादव 1990 में पहली बार मधेपुरा के सिंहेश्वर से निर्दलीय विधायक बने थे। वे तीन बार निर्दलीय सांसद और एक बार निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। ऐसे में तय है कि अगर वे निर्दलीय भी चुनावी मैदान में उतरते हैं तो इसका खामियाजा महागठबंधन को ही उठाना पड़ेगा। माना जा रहा है कि पप्पू यादव अगर पूर्णिया से चुनावी मैदान में उतरते हैं तो वे महागठबंधन के वोट बैंक में ही सेंध लगाएंगे।

राजद का वोट बैंक एमवाई समीकरण को ही माना जाता है। बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पप्पू यादव की पार्टी के कांग्रेस में विलय की पटकथा लिखी थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उनकी सलाह पर पप्पू यादव ने लालू प्रसाद से मिलकर उनकी शिकायतों को दूर किया था, लेकिन अंत में पप्पू खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

भाजपा भी अब पप्पू के जरिए महागठबंधन पर कटाक्ष कर रहा है। भाजपा के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा कि पहले से ही इस महागठबंधन को ठगबंधन माना जाता रहा है। पप्पू यादव को ठगबंधन ने ठग लिया है। उन्होंने अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय कर दिया लेकिन राजद ने ठगते हुए बीमा भारती का सिंबल थमा दिया।

उधर, पप्पू यादव को लेकर बिहार में छिड़ी सियासी बहस के बीच राजद ने उनका नोटिस लेने तक से इंकार कर दिया है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि हम किसी व्यक्ति को नहीं जानते। हमारा पुराना गठबंधन कांग्रेस पार्टी के साथ है और ये तो जनवरी में ही तय हो गया था कि कांग्रेस किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

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