नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के कई दिनों बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनका ‘‘एक पंक्ति’’ का इस्तीफा शनिवार को स्वीकार कर लिया।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने सिद्धू का इस्तीफा पंजाब के राज्यपाल वी. पी. सिंह बदनौर को भेजा था। राज्यपाल ने सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। प्रवक्ता ने बताया कि कुछ वक्त के लिए बिजली विभाग मुख्यमंत्री के पास रहेगा।
उन्होंने बताया कि बुधवार को दिल्ली से लौटने के बाद पिछले दो दिनों से अस्वस्थ चल रहे अमरिंदर ने शनिवार सुबह इस्तीफा पत्र देखा। उन्होंने बताया कि पत्र में केवल एक पंक्ति लिखी हुई थी। इसमें कोई स्पष्टीकरण या किसी वजह का उल्लेख नहीं किया गया था।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने ऐसे समय में सिद्धू का इस्तीफा मंजूर किया है जब मीडिया में अटकलें लगी रही थी कि कांग्रेस आलाकमान ने दोनों नेताओं के बीच के मुद्दों को हल करने के लिए मामले में हस्तक्षेप किया है। सिद्धू (55) का मुख्यमंत्री से टकराव चल रहा था और उन्हें छह जून को हुए मंत्रिमंडल फेरबदल में अहम मंत्रालयों से दूर रखा गया था।
सिद्धू द्वारा बिजली विभाग का कार्यभार संभालने से इनकार करना भी कांग्रेस के लिए ‘‘शर्मिंदगी’’ की बात बन गई
मुख्यमंत्री ने छह जून को सिद्धू से स्थानीय सरकार और पर्यटन एवं संस्कृति मामलों का विभाग ले लिया था और उन्हें बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग दे दिया था। सिद्धू के अलावा अन्य मंत्रियों के विभाग भी बदले गए थे।
एक महीने से ज्यादा समय से सिद्धू द्वारा बिजली विभाग का कार्यभार संभालने से इनकार करना भी कांग्रेस के लिए ‘‘शर्मिंदगी’’ की बात बन गई। विपक्षी दल राज्य में अमरिंदर के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला कर रहे हैं। क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने 14 जुलाई को टि्वटर पर कांग्रेस अध्यक्ष को संबोधित करते हुए राज्य मंत्रिमंडल से 10 जून को दिए अपने इस्तीफे को सार्वजनिक कर दिया था।
सिद्धू ने 15 जुलाई को यहां अमरिंदर के आधिकारिक आवास पर अपना इस्तीफा पत्र भेजा था। उस समय अमरिंदर दिल्ली में थे। इस सप्ताह की शुरुआत में अमरिंदर ने कहा था कि अगर सिद्धू अपना काम नहीं करना चाहते हैं तो वह कुछ नहीं कर सकते।
सिद्धू की गैरमौजूदगी में धान की बुवाई के मौसम और राज्य में गर्मी के कारण बिजली की बढ़ती मांग के मद्देनजर अमरिंदर ही बिजली विभाग के कामकाज की निगरानी कर रहे हैं। विभागों में तब्दीली किए जाने के बाद से ही सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर ने मीडिया से दूरी बना रखी थी।
सिंह और सिद्धू के बीच तनाव पिछले महीने तब जगजाहिर हो गया था
सिंह और उनके मंत्री के बीच तनाव पिछले महीने तब जगजाहिर हो गया था जब मुख्यमंत्री ने सिद्धू पर स्थानीय निकाय विभाग को संभालने में अकुशलता का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि इसकी वजह से लोकसभा चुनावों में शहरी इलाकों में कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन किया।
बहरहाल, सिद्धू ने कहा था कि उनके विभाग को सार्वजनिक तौर पर निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा था कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि उन्होंने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है। सिद्धू ने नौ जून को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी और उन्हें ‘‘स्थिति बताते हुए’’ एक पत्र सौंपा था।
साल 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व भाजपा नेता सिद्धू का पिछले कुछ समय से अमरिंदर से टकराव चल रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान अमरिंदर ने 17 मई को बठिंडा में प्रचार करते हुए सिद्धू के ‘‘फ्रैंडली मैच’’ वाली टिप्पणी पर काफी गुस्सा जताया था।
सिद्धू ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मुद्दे पर राज्य में कांग्रेस सरकार को कथित तौर पर घेरते हुए सवाल उठाया था कि बादल परिवार के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं हुई। इस पर अमरिंदर ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
सिद्धू पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘अगर वह सच्चे कांग्रेसी हैं तो उन्हें अपनी शिकायतें बताने के लिए पंजाब में मतदान से महज कुछ समय पहले के बजाय उपयुक्त समय चुनना चाहिए था।’’ अमरिंदर ने कहा था, ‘‘वह ऐसे गैरजिम्मेदाराना कार्यों से पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
यह उनका चुनाव नहीं है बल्कि पूरी कांग्रेस का चुनाव है। शायद वह महत्वाकांक्षी हैं और मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।’’ इससे पहले भी अमरिंदर और सिद्धू के बीच तनाव जनता के समक्ष आ चुका है। पिछले साल सिद्धू ने हैदराबाद में कहा था, ‘‘(कांग्रेस प्रमुख) राहुल गांधी मेरे कैप्टन हैं।
...राहुल गांधी कैप्टन (अमरिंदर) के भी कैप्टन हैं।’’ अमरिंदर ने भी पड़ोसी देश पाकिस्तान की यात्रा के दौरान सिद्धू के पाकिस्तान के सेना प्रमुख को गले लगाने पर भी नाराजगी जताई थी।