किराया नियंत्रण कानून के तहत खाली कराने के प्रावधान मकान मालिकों के प्रति भेदभावपूर्ण : याचिका

By भाषा | Updated: February 4, 2021 17:50 IST2021-02-04T17:50:44+5:302021-02-04T17:50:44+5:30

Provision to vacate under rent control law discriminatory against landlords: petition | किराया नियंत्रण कानून के तहत खाली कराने के प्रावधान मकान मालिकों के प्रति भेदभावपूर्ण : याचिका

किराया नियंत्रण कानून के तहत खाली कराने के प्रावधान मकान मालिकों के प्रति भेदभावपूर्ण : याचिका

नयी दिल्ली, चार फरवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा जिसमें दावा किया गया कि दिल्ली किराया नियंत्रण कानून (डीआरसीए), 1958 के तहत वाणिज्यिक संपत्तियों से किरायेदारों को निकालने का प्रावधान ‘‘मकान मालिकों के प्रति भेदभावपूर्ण’’ है।

मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर याचिका पर उनका रूख पूछा जिसमें दावा किया गया कि कानून में व्यावसायिक संपत्तियों से किरायेदार को निकालने का प्रावधान नहीं है, जब ऐसे व्यक्ति के पास अन्य वाणिज्यिक संपत्तियां भी हों।

कानून के तहत मकान मालिक किरायेदार को आवासीय संपत्ति से हटने के लिए कह सकता है अगर किरायेदार के पास वैकल्पिक आवास हो। दो भाइयों ने याचिका दायर कर कहा कि यह प्रावधान वाणिज्यिक संपत्तियों पर लागू नहीं होता है।

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वकील अभिनव बेरी, शिवम खेड़ा और सत्यम खेड़ा ने किया जिन्होंने कहा कि कानून के तहत संपत्ति से हटाने वाले प्रावधान में वाणिज्यिक संपत्तियों पर विचार नहीं करना ‘‘पूरी तरह स्वेच्छारी, अतार्किक है जिसे काफी लंबे समय से अनदेखी की गई है।’’

याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त किराया नियंत्रक द्वारा भाइयों की याचिका खारिज करने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। दोनों भाइयों ने एक वाणिज्यिक संपत्ति से किरायेदार को हटाने की मांग की थी। दोनों भाई व्यापार के विस्तार के लिए अजमेरी गेट के पास अपनी दुकान के निकट स्थित एक अन्य दुकान से किरायेदारों को हटाना चाहते थे।

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Web Title: Provision to vacate under rent control law discriminatory against landlords: petition

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