किसान नेता नरेश टिकैत के हस्तक्षेप के बाद प्रदर्शनकारी पहलवान हरिद्वार से लौटे, गंगा में नहीं बहाए मेडल
By रुस्तम राणा | Published: May 30, 2023 09:10 PM2023-05-30T21:10:15+5:302023-05-30T21:11:49+5:30
इस दौरान किसान नेता ने कहा, बड़ी मेहनत से उन्होंने (पहलवानों) यह पदक जीता है। वे हमारी बैटियां हैं उनके साथ अन्याय हो रहा है। एक आदमी को बचाने के लिए पूरी भारतीय सरकार लगी है।
हरिद्वार: किसान नेता नरेश टिकैत के हस्तक्षेप के बाद विरोध कर रहे पहलवानों ने मंगलवार को अपने पदक गंगा में नहीं डालने का फैसला किया। साथ ही वे हरिद्वार से रवाना हो गए हैं। नरेश टिकैत ने पहलवानों से अपनी मेहनत की कमाई के पदकों को पवित्र नदी गंगा में विसर्जित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
इस दौरान किसान नेता ने कहा, बड़ी मेहनत से उन्होंने (पहलवानों) यह पदक जीता है। वे हमारी बैटियां हैं उनके साथ अन्याय हो रहा है। एक आदमी को बचाने के लिए पूरी भारतीय सरकार लगी है। कल (बुधवार) खाप पंचायत की बैठक होगी। 5 दिन के अंदर निर्णय लिए जाएंगे।
बड़ी मेहनत से उन्होंने(पहलवानों) यह पदक जीता है। वे हमारी बैटियां हैं उनके साथ अन्याय हो रहा है। एक आदमी को बचाने के लिए पूरी भारतीय सरकार लगी है। कल खाप पंचायत की बैठक होगी। 5 दिन के अंदर निर्णय लिए जाएंगे: किसान नेता नरेश टिकैत#WrestlerProtesthttps://t.co/tkiUhwT9fZpic.twitter.com/jrHqe62mPv
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 30, 2023
भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नरेश टिकैत, जो बीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत के भाई भी हैं, प्रदर्शनकारी पहलवानों को समर्थन देने के लिए हर-की-पौड़ी पहुंचे। उन्होंने कहा, "उन्हें (पहलवानों को) स्टेडियम में मैट पर अभ्यास करने की आवश्यकता है, लेकिन उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया और उन्हें जंतर मंतर और अब पवित्र गंगा घाट पर बैठने के लिए मजबूर किया गया।
किसान नेता ने कहा, वास्तव में, बृज भूषण के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। हम सच्चाई के साथ हैं और किसानों के आंदोलन ने दिखा दिया, देर-सवेर जीत सच्चाई की होगी। भारत के कुछ शीर्ष पहलवान यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर अपने महासंघ प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर विरोध के निशान के रूप में अपने पदक 'विसर्जित' करने पहुंचे थे।
पहलवान बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर 23 अप्रैल से नई दिल्ली के जंतर मंतर पर डेरा ंडाले हुए हैं, जिन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया है।